प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा है कि मैंने चार सालों विश्वविद्यालयों की शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने का काम किया है।
यही वजह है कि एनएएसी रैकिंग के लिए उन्हें तैयार किया गया है, जिससे प्रदेश के चार विश्वविद्यालयों को ए डबल प्लस एवं दो विश्वविद्यालय को ए प्लस की श्रेणी में रखा गया है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के पद पर कार्य करते हुए मैंने प्रदेश के विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार खत्म करने का काम किया है। केजी टू पीजी शिक्षा की क्वालिटी सुधरी है। राज्यपाल नैमिषारषारण्य में कालीपीठ में आयोजित रमेश भाई ओझा के भागवत कथा में शामिल होने आई थीं। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में काम करने का मेरा 30 वर्षों का अनुभव रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे चिंता होती थी कि कॉलजों में लैब नहीं है। बेहतर शिक्षक नहीं है। बच्चों का क्या होगा। जब कोई छात्र इंटर पास कर स्नातक में प्रवेश के लिए जाता है तो वह विद्यालयों को रैंकिंग देखता है।
मैंने बिना किसी सरकारी सहायता के आंगनवाड़ी से लेकर महाविद्यालयों को प्रेरित किया और वर्तमान में चार विश्वविद्यालय नैक ए डबल प्लस प्रमाण पत्र प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य समाज के वर्तमान और भविष्य दोनों के लिए बहुत जरूरी है। मैंने अपने जीवन के कई वर्ष शिक्षा के उत्थान को समर्पित किए हैं। जब मैं गुजरात में शिक्षा मंत्री थी तब मैंने आदिवासी क्षेत्रों में स्कूलों के बेहतरीन के लिए कई नये प्रयोग किए। इन क्षेत्रों के कई स्कूलों को मैंने समाजसेवी संस्थाओं को दिया। इसके बाद इन विद्यालयों में अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ और शिक्षा की व्यवस्था काफी बेहतर हुई । उत्तर प्रदेश में हमने प्रदेश के विश्वविद्यालय और आंगनबाड़ी शिक्षा में भी बेहतरी के लिए कई नवाचार किये है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालयों एवं जनता के सहयोग से प्रदेश के 7500 आंगनबाड़ी केन्द्रों में 40-40 हजार रूपये की शैक्षणिक किट उपलब्ध करायी गयी हैं। हमारा मानना है कि शिक्षा सभी के लिए बहुत आवश्यक है और शिक्षा पद्धति में समय-समय पर अपग्रेडेशन और भविष्य की जरूरतों के अनुसार बदलाव होते रहने चाहिए।
भागवत कथा
सत्य स्वरूप परमात्मा की शरण में ले जाती है भागवत भाईश्री
समय पर जाग जाएं तो मृत्यु भी महोत्सव बनती है
कालीपीठ में चल रही भागवत कथा के तीसरे दिन प्रवचन
नैमिषारण्य, संवाददाता। संसार में जीव जागता, सोता और स्वप्न देखता है, इन तीनों परिस्थितियों में जीव को सुख और दुख का अनुभव होता है । एकमात्र सत्य स्वरूप परमात्मा की शरण से ही जीव को विश्राम मिलता है, श्रीमद्भागवत कथा उसी सत्य स्वरूप परमात्मा की शरण में ले जाती है, यह प्रवचन भागवताचार्य रमेश भाई ओझा ने भागवत कथा के तीसरे दिन कही ।
कालीपीठाधीश गोपाल शास्त्रत्त्ी के पावन सानिध्य में कालीपीठ संस्थान द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कथा श्रवण किया। भाईश्री ने बताया कि ऋषिपुत्र के श्राप से परीक्षित को सात दिन में मृत्यु का श्राप मिला और परीक्षित को शुकदेव जैसे गुरुदेव मिलने पर सात दिनों में मोक्ष की प्राप्ति हुई। दूसरे परिप्रेक्ष्य में देखें तो ऋषिपुत्र ने परीक्षित को चेताया कि अगले सात दिनों में तेरी मृत्यु होने वाली है अब तो जाग । सच बात तो यह है कि यदि हम समय पर जाग जाए तो मृत्यु भी महोत्सव बन जाती है । परमहंस शुकदेव के मुख से भागवत कथा सुन कर परीक्षित की मृत्यु भी महोत्सव बन गई । कथा समापन पर महामहिम राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने रमेश भाई ओझा को अंगवस्त्रत्त् देकर सम्मान किया । कालीपीठ संस्थान द्वारा उन्हें स्मृति चिन्ह दिया गया । अंत में राज्यपाल कालीपीठाधीश गोपाल शास्त्रत्त्ी, भास्कर शास्त्रत्त्ी, भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश शुक्ला, मुनींद्र अवस्थी, बिंद्रा प्रसाद अवस्थी ने भागवत भगवान की आरती उतारी ।