पाठ्यक्रम में वेदों को शामिल करने के लिए खर्च होंगे 100 करोड़ रुपये
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को कहा कि केंद्र ने पाठ्यक्रम में वेदों और भारतीय भाषाओं को शामिल करने के उद्देश्य से 100 करोड़ रुपये अलग रखे हैं। जो छात्र वैदिक बोर्ड द्वारा दी जाने वाली दसवीं (वेद भूषण) और बारहवीं (वेद विभूषण) की परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं, वे अब चिकित्सा और इंजीनियरिंग सहित उच्च शिक्षा के लिए किसी भी कालेज में शामिल होने के पात्र होंगे। यह निर्णय सरकार द्वारा नामित निकाय, एसोसिएशन आफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (एआइयू) द्वारा हाल ही में वैदिक शिक्षा को फिर से शुरू करने पर सहमति के बाद आया है।
इस निर्णय से भारतीय शिक्षा बोर्ड (बीएसबी), महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद संस्कृत शिक्षा बोर्ड (एमएसआरवीएसएसबी) और महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान (एमएसआरवीवीपी) जैसे वैदिक बोर्डों के छात्रों को लाभ होगा। उन्हें राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा
परीक्षा द्वारा आयोजित किसी अन्य परीक्षा में बैठने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे पहले अन्य बोर्डों के छात्रों को आगे की शिक्षा के लिए कालेजों में प्रवेश के लिए आवेदन करने के लिए एनओएसई परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ती थी। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में शनिवार को लक्ष्मी पुराण के संस्कृत अनुवाद का विमोचन करते हुए प्रधान ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे वेदों के ज्ञान, मूल्यों और संदेश को आत्मसात करके हम सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण और महिला नेतृत्व वाले विकास की और बढ़ सकते हैं।