Home PRIMARY KA MASTER NEWS Rahul Pandey  जी की फेसबुक वॉल से..मन की बात 

Rahul Pandey  जी की फेसबुक वॉल से..मन की बात 

by Manju Maurya

मन की बात 

न्यायमूर्ति श्री अरुण टंडन जी का कहना था कि 72825 भर्ती सरकार लायी लेकिन बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 में बीएड को शामिल करने के लिए संशोधन नहीं किया। 

बीएड के लोग को नियुक्ति के बाद छह महीने का प्रशिक्षण दिया जाएगा इसलिए ट्रेनी टीचर का कैडर लाया जाए। 

सरकार ने विज्ञापन रद्द कर दिया। बेसिक शिक्षा नियमावली का संशोधन 12 TET मेरिट सरकार ने रद्द करके संशोधन 15 अकादमिक मेरी लायी जिसमे प्रशिक्षण में सिध्दांत में प्रथम श्रेणी 12 अंक, द्वितीय श्रेणी 6 अंक तृतीय श्रेणी 3 अंक किया। प्रयोगात्मक में प्रथम श्रेणी 12 अंक, द्वितीय श्रेणी 6 अंक तृतीय श्रेणी 3 अंक किया।

मेरा बीएड के सिद्धांत में द्वितीय श्रेणी है। कोई भी विज्ञापन आता उसमें मेरा चयन न होता। पुराना विज्ञापन सहायक का होना चाहिए था मगर वह SBTC की ट्रेनिंग जैसा विज्ञापन था। उसे चुनौती देता तो दिनांक 27/09/11 का शासनादेश अनिल संत जी अकादमिक पर लाये थे। उसमें भी मैं अनफिट था। क्योंकि शासनादेश के बाद जब दिनांक 09 नवंबर 2011 को 12वां  संशोधन लाया उसके बाद 13 नवंबर को TET हुई तब जाकर 30 नवंबर 2011 को विज्ञापन लाया। उसमें सिर्फ पांच जिले में आवेदन की बात थी तो सरिता भाभी ने उसे आल यूपी करा दिया, कपिल देव ने BSA द्वारा विज्ञापन जारी न होने के कारण स्टे करा दिया था। चुनाव के बाद परिस्थिति बदल गयी। 

अब बीएड के लिए होने वाले नियमावली के संशोधन पर मेरी पैनी नजर थी। 

दिनांक 05 दिसंबर 2012 को बेसिक शिक्षा नियमावली का संशोधन 16वां होने वाला था। रूल 14(1) को तीन भाग में बांटा जाता मगर रूल 14(3) में कोई परिवर्तन नहीं होने वाला था। 

उसके बाद जो रूल 14(1) में था उसे रूल 14(1)(A) में रख दिया गया। मैंने उसपर कोई ध्यान नहीं दिया क्योंकि वह SBTC बीटीसी के लिए था। रूल 14(1)(B) बीएड के लिए ट्रेनी टीचर के विज्ञापन हेतु बना और रूल 14(1)(C) छः महीने की ट्रेनिंग पूरी हो जाने के बाद सहायक अध्यापक बनाने के लिए होता। 

तब मैंने चयन के आधार 14(3) को विभाजित कराने का प्रयास किया। एक नेता को मैंने ड्राफ्ट बताया। सबसे बड़े नेता से कहा कि यदि इटावा और मैनपुरी आपका घर है तो पूर्वाचल आपका गढ़ है। 12, 6, 3 से अवध और पूर्वांचल विश्वविद्यालय से बीएड करने वाले बर्बाद हो जाएंगे। 

उसके बाद संशोधन 16 रूल 14(3) में भी गति पकड़ लिया। 

रूल 14(3) में 14(3)(A) जो कि SBTC BTC के लिए संशोधन 15 वाला जिसमे प्रशिक्षण का  12, 6, 3 रख दिया गया। 14(3)(B) बीएड के उनके पूर्णांक तीस फीसदी हो गया। 

14(3)(C) जो बीएड के लोग छः महीने का प्रशिक्षण पूरा करके उत्तीर्ण होते उसी क्रम में उनके लिए हो गया। 

इस तरह NCTE के नोटिफिकेशन के अनुपालन में बीएड नियमावली में 16वां संशोधन से आया। रूल 14(1)(B) 14(3)(B) से  नया विज्ञापन आया लंबा संघर्ष हुआ। मगर उस संशोधन 16 का हश्र किसी से बताने की इच्छा नहीं होती। 

14(1)(C) और 14(3)(C) ने तो कभी खुशियों का मुंह भी नहीं देखा। 

उस समय यदि मेरा बीटीसी में इंटरेस्ट होता तो 14(1)(A) में जिला वरीयता न होती और 15000, 16448, 12460 पर इतने मुकदमे न आते। जिला वरीयता बाबा जी ने संशोधन 21 से खत्म किया। तब 68500 भर्ती लाये। 

तब भी मेरा मानना था कि NCTE का नोटिफिकेशन राज्य पर बाध्यकारी है, बेसिक शिक्षा नियमावली में संशोधन की कोई जरूरत नहीं है। मेरी बातें राम प्रकाश शर्मा केस, शिव कुमार पाठक केस और पल्लवी केस में सही साबित हुईं। 

NCTE का नोटिफिकेशन 28/06/2018 आया जिसमें बीएड योग्यता  को प्राइमरी में शामिल किया गया। तब भानु जी की टीम से कहा कि प्राइमरी के TET के लिए लड़ाई लड़िये। उन्होने CTET UPTET सबमें प्राइमरी का TET शामिल कराया। 

NCTE के नोटिफिकेशन के बाद उत्तर प्रदेश में  69000 भर्ती आयी तब बीएड वालों ने मुझसे कहा कि बेसिक शिक्षा नियमावली में बीएड को नहीं लिया और विज्ञापन आ गया। 

मैंने कहा कि बेसिक शिक्षा  नियमावली में बीएड को लेकर   संशोधन जरूरी नहीं है क्योंकि बीएड NCTE के नोटिफिकेशन से आया है, बीएड के लोग रहेंगे। यदि संशोधन आएगा तो सिर्फ इसलिए आएगा कि बीटीसी और शिक्षामित्र उसे चुनौती दें कि पहले विज्ञापन आया है तब बेसिक शिक्षा  नियमावली में बीएड  में आया है। कोई नियम भूतलक्षी नहीं होता। उधर बीएड NCTE के बल पर नैया पार कर जाए। संयोगवश वही हुआ नियमावली में संशोधन 23 से बीएड आया। राम शरण मौर्य उसके विरुद्ध माननीय सर्वोच्च न्यायालय तक लड़े। न्यायमूर्ति श्री उदय उमेश ललित ने कहा कि बेसिक शिक्षा नियमावली में क्या है क्या नहीं है उससे मुझे मतलब नहीं है। NCTE ने बीएड को अवसर दिया है। तब पटवालिया जी ने कहा कि NCTE ने RTE ACT 23(1) का उलंघन किया है। 23(1) अर्थात बीटीसी, SBTC और दूरस्थ बीटीसी के रहते 23(2) अर्थात बीएड वाले नहीं आ सकते। तब न्यायमूर्ति श्री ललित ने कहा कि आपने RTE ACT सेक्शन 23(1) का उलंघन मानकर NCTE के नोटिफिकेशन दिनांक 28/06/2018 को चुनौती नहीं दी है। इसलिए उसपर नहीं बोलने दूँगा। 

कट ऑफ के कारण बीटीसी वालों ने शिक्षामित्रों का साथ नहीं दिया। आकाश पटेल ने चुनौती दिया है जो कि माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। 

राजेन्द्र चोटिया ने जोधपुर उच्च न्यायालय में NCTE का नोटिफिकेशन 28/06/2018 रद्द करा दिया। उक्त आदेश को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने दिनांक 11/08/2023 को कन्फर्म कर दिया। 

पटना उच्च न्यायालय ने छठे चरण में नियुक्त बीएड को बाहर कर दिया। 

वहाँ की सरकार और नियुक्त बीएड माननीय सर्वोच्च न्यायालय जाते उसके पहले ही गुड्डू सिंह ने बीएड पर दो एहसान कर दिया। पहला एहसान यह किया कि मेरिट का मुकदमा आकाश पटेल केस लड़ने की बजाय बिहार से पहले उत्तर प्रदेश का मामला माननीय सर्वोच्च न्यायालय में उठा दिया। दूसरा एहसान यह किया कि दिग्गज वकील कपिल सिब्बल को उतारकर भारत सरकार, NCTE और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस करा दिया। अन्यथा बिहार के लोग पहले जाते तो गुड्डू सिंह मज़बूत हो जाता। 

पदोन्नति में NCTE का नोटिफिकेशन लागू है। 

दिनांक 29/01/2021 को मैंने मिशन प्रोमोशन अभियान चलाया। पदोन्नति शुरू हुई तो NCTE का नोटिफिकेशन न फॉलो होने पर कोर्ट गया। विभाग ने कहा कि पदोन्नति करते समय NCTE का नोटिफिकेशन फॉलो होगा। 

दिनांक 02 जून 2023 को रिट अपील 313/2022 एवं उससे संबद्ध याचिकाओं में माननीय मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने पदोन्नति में TET सबके लिए अनिवार्य बता दिया और कहा कि NCTE का नोटिफिकेशन दिनांक 23/08/2010 का पैरा 4 सिर्फ बगैर TET वालों को नौकरी में बने रहने की छूट देता है। पद में परिवर्तन हो रहा है तब प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक बन रहे हैं तो प्राइमरी (1-5)  TET उत्तीर्ण होना चाहिए और उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक /प्रधानाध्यापक बन रहे हैं उच्च प्राथमिक (6-8) की TET उत्तीर्ण हों। 

उक्त आदेश के अवलोक में दिनांक 11/09/2023 को NCTE ने पत्र भी जारी कर दिया है। 

जिन याचिकाओं में पदोन्नति में TET मांगी गयी थी और उनकी याचिका माननीय मद्रास उच्च न्यायालय में स्वीकार हुई थी उसे गैर बीजेपी शासित राज्यों ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दिया है, डॉक्टर अभिषेक मनु सिंघवी उनकी पैरवी कर रहे हैं। मगर मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने रोक नहीं लगायी है। 

जब तक माननीय सर्वोच्च न्यायालय से फैसला नहीं आ जाता है कि दिनांक 23/08/2010 रीड विथ दिनांक 29/07/2011 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों पर पदोन्नति में TET लागू है कि नहीं लागू है तब तक कोई भी राज्य अपनी नियमावली में TET की अनिवार्यता या ग़ैर अनिवार्यता को लेकर कोई भी परिवर्तन नहीं कर सकते हैं। 

वर्तमान परिदृश्य में सरकार मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले और दिनांक 11/09/2023 के NCTE के पत्र के अनुसार सभी शिक्षकों पर वह चाहे जब के नियुक्त हों, प्राइमरी का हेडमास्टर बनाने के लिए प्राइमरी की TET और उच्च प्राथमिक विद्यालय का सहायक अध्यापक और हेडमास्टर बनाने अर्थात उक्त पद पर पदोन्नति करने के लिए उच्च प्राथमिक का TET उत्तीर्ण शिक्षकों की पदोन्नति कर सकती है। जब तक माननीय सर्वोच्च न्यायालय बगैर TET नियुक्त शिक्षकों को लेकर NCTE के नोटिफिकेशन दिनांक 23/08/2010 के पैरा 4 पर पदोन्नति को लेकर व्याख्या नहीं कर देती है तब तक बगैर TET नियुक्त शिक्षकों की बगैर TET पदोन्नति नहीं कर सकती है। 

मिशन प्रमोशन ग्रुप की मद्रास की सुनवाई/फैसलों और माननीय सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई पर नजर है, जो लोग कहते हैं कि पदोन्नति हो चाहे जैसे हो तो चाहे जैसे की स्थिति यही है कि तब मात्र TET पास की पदोन्नति हो सकती है। 

पदोन्नति को लेकर NCTE का नोटिफिकेशन दिनांक 12/11/2014 भारतीय जनता पार्टी शासित सरकार में आया है। मैं न TET का समर्थक हूँ न नॉन TET का समर्थक हूँ न अकादमिक का समर्थक हूँ। मेरा बस इतना कहना है कि जो नियम भारत सरकार द्वारा अधिकृत NCTE बनाए वह नियम लागू हो। अब जिसको लगता है कि पदोन्नति तत्काल हो जाये तो वह बताए। 

राहुल जी पाण्डेय ‘अविचल’

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