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लखनऊ, नगर व ग्रामीण क्षेत्र के 89 प्राइमरी स्कूल में एक-एक शिक्षक तैनात हैं। इन शिक्षकों पर पढ़ाने के साथ नए बच्चों के दाखिले, आधार सत्यापन, डीबीटी समेत स्कूल के दूसरे कामकाज भी कर रहे हैं। लोक सभा चुनाव अलग से है। बता दें कि चार दिन पहले 48 शिक्षकों के सेवानिवृत्त होने से स्कूलों में और शिक्षक कम हो गए हैं।
अधिकारी दावे करते हैं कि शिक्षामित्र बच्चों को पढ़ा रहे हैं। जबकि इनमें से दर्जन भर स्कूलों में शिक्षामित्र भी नहीं हैं। करीब पांच साल से शिक्षक न होने से बच्चों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। अभिभावक प्राइमरी स्कूलों से बच्चों को निकालकर निजी स्कूलों में दाखिला करा रहे हैं।
एक शिक्षक के जिम्मे दो-दो स्कूल लखनऊ के 1618 प्राइमरी स्कूलों में करीब पांच हजार शिक्षक तैनात हैं। नगर क्षेत्र में 5 57 स्कूल में शिक्षक नहीं हैं। यहां दूसरे स्कूलों के एक-एक शिक्षक लगाए गए हैं। इनमें कई शिक्षकों के पास दो-दो स्कूलों का कार्यभार है। यह शिक्षक एक ही समय पर दो स्कूलों के बच्चों को पढ़ाने के अलावा दाखिले, पुस्तकें बांटने, भोजन परोसने से लेकर अन्य कामकाज निपटा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के करीब 132 स्कूलों में लम्बे समय से एक-एक शिक्षक तैनात हैं। । मानक के अनुसार शिक्षक न होने से बच्चों की
पढ़ाई नहीं हो पा रही है।
बच्चों की शिक्षा में आ रही बाधा शिक्षकों का कहना है कि उनका अधिकांश समय बच्चों के दाखिले, मिड डे मील और विभागीय कामकाज में पूरा समय खत्म हो जाता है। एक शिक्षक पर स्कूल के कामकाज के साथ बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो रहा है शिक्षामित्र स्थानीय होने से शिक्षकों की सुनते नहीं है। वह पढ़ाई में सहयोग भी नहीं करते हैं। जिसकी वजह से पढ़ाई पर प्रभाव पड़ता है।
ऐसे में जब इन शिक्षकों को आधार सत्यापन या डीबीटी जैसे दूसरे कामों में लगाया जाता है तो पढ़ाई का संकट और बढ़ जाता है।
शिक्षकों की लगातार कमी होती जा रही
31 मार्च को प्राइमरी व जूनियर स्कूलों के 48 शिक्षक सेवानिवृत्त हो गए। इनमें से दो ने व्यक्तिगत कारणों से स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति ली है। इससे कई स्कूलों में एक-एक शिक्षक बचे हैं। शिक्षक नेताओं का कहना है कि बीते सालों में शिक्षकों की कई भर्तियां हुई लेकिन लखनऊ में अधिक शिक्षक संख्या बताकर शासन यहां शिक्षकों की भर्ती नहीं कर रहा है। इससे शिक्षकों की लगातार कमी होती जा रही है। जिससे विद्यालयों में पढ़ाई पर प्रभाव पड़ रहा है। इस स्तिथि में सख्ती से सुधार की जरूरत है ताकि बच्चों की शिक्षा सुचारू रहे।