लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के माध्यमिक विद्यालय शिक्षकों के नियमितीकरण मामले में अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षकों का नियमितीकरण न करने के खिलाफ 37 याचिकाएं मंजूर कर इनमें चुनौती दिए गए क्षेत्रीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों के आदेशों को रद्द कर दिया। वहीं, सभी याची शिक्षकों को सेवा में बहाल रखकर वेतन देने के आदेश दिए हैं।
न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की एकल पीठ ने शुक्रवार को यह फैसला और आदेश तीर्थराज समेत अन्य शिक्षकों की 37 याचिकाओं को मंजूर करके दिया। याचिकाओं में प्रदेश के क्षेत्रीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों के अध्यक्षता वाली क्षेत्रीय
समितियों के उन आदेशों को चुनौती दी गई थी, जिनमें याची शिक्षकों के सेवा में नियमितीकरण को खारिज कर दिया गया था।
शिक्षकों का कहना था कि वे समय-समय पर नियुक्त हुए। 23 मार्च 2016 से अधिनियम में 33- जी धारा जोड़ी गई। इसके तहत क्षेत्रीय समितियों को याचियों के नियमितीकरण मामले में गहराई से परीक्षण करना चाहिए था। दलील दी गई कि क्षेत्रीय समितियों ने इस कानूनी प्रावधान की उपेक्षा कर संबंधित प्रबंध समिति से प्रत्येक याची शिक्षक का
रिकॉर्ड देखना सुनिश्चित किए बिना नियमितीकरण खारिज करने का आदेश दिया। यह कानून की मंशा के खिलाफ होने की वजह से रद्द करने योग्य है। उधर, सरकारी वकील ने याचिकाओं का विरोध किया। कोर्ट ने कई नजीरों का हवाला देते हुए कहा कि सभी मामलों में नियमितीकरण खारिज करने के आदेश संबंधित प्रबंध समितियों और डीआईओएस से बिना रिकॉर्ड मांगे एक ही तरह से पारित किए गए। यह त्रुटिपूर्ण है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याचिकाओं में चुनौती दिए गए आदेशों को रद्द कर याचिकाएं मंजूर कर लीं। साथ ही मामलों को वापस भेजकर इनमें क्षेत्रीय समितियों को तीन माह में नए आदेश पारित करने को कहा है। ब्यूरो