मैं शुरू से कहता आ रहा हूँ इनकी मंशा ठीक नहीं है आज के अख़बार की ये NEWS पढ़िए और इसका aftermath जिन किसानों का आप मज़ाक़ बना रहे थे उससे भी जुड़ा है, आप लोग प्रमोशन ट्रांसफ़र समायोजन pairing पेंशन आदि में ऐसे उलझा दिए हैं कि जो बड़ी आहट है उसको सुनना बंद कर दिया है।
एक न्यायपंचायत में एक विद्यालय होगा वो भी PRE से 12th तक जो स्कूल बड़ा होगा उसको चुना जाएगा बाक़ी के स्कूल बंद करके वहाँ WAREHOUSE तैयार किये जाएँगे जिनमें corporate groups वालों का माल स्टोर किया जाएगा इसके पीछे कई तर्क हैं मेरे आज आपके आस-पास होने वाले विकास को देखते हुए बताता हूँ।
सत्ता द्वारा PVT RAILWAY LINE तैयार की जा रही है जो कि माल कम समय में पहुँचाएगी और जो ट्रक आदि से transport होगा वो लम्बा ट्रांसपोर्ट बंद करके माल की ढुआई railway station से केवल warehouse तक की होगी और warehouse बनेंगे ये स्कूल। transporters को रोज़ का हज़ारों का नुक़सान होगा ख़ैर हमें क्या मरने दो।
किसान बिल में इसलिए ही लाया गया था कि इनका माल corporates लेंगे और स्टोर करने के लिए जगह की दिक्कत आएगी तो स्कूल ही बचेंगे और पढ़ाई लिखाई तो वैसे भी इस सरकार की सरदर्दी ही है जो कि आप बजट में हुए allocation से माप सकते हैं वैसे भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपाई जी का कहना भी था सरकार का काम शिक्षा स्वास्थ्य थोड़े होता है।
ये जो नए स्कूल पंचायत लेवल पर बनेंगे इनमे investment आने लगा है अभी हाल ही में अडानी ने दस हज़ार करोड़ का investment किया है जो साठ हज़ार करोड़ तक जाएगा।
बैंक वाले नापे गए merger में ठीक वैसी होगा। वर्तमान में सरकार सख़्ती इसलिए ही कर रही है या तो आदत डाल लो या भविष्य में terms & conditions रख देगी।
process लम्बा है लेकिन धीरे धीरे आने वाले दस वर्षों में ये सत्ता करके दिखाएगी।
साभार-हिमाशु राणा की वाल से