केंद्र सरकार ने एनपीएस में सुधार कर नई पेंशन योजना ‘एकीकृत पेंशन योजना’ (यूपीएस) पेश की है, जिसे कुछ कर्मचारियों ने सराहा है, जबकि अन्य ने इसे धोखा बताया है। जेसीएम के सचिव शिवगोपाल मिश्रा ने यूपीएस की प्रशंसा की, जबकि कई संगठनों का मानना है कि यह पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) का सही विकल्प नहीं है। कई कर्मचारी संगठन यूपीएस का विरोध कर रहे हैं और ओपीएस की बहाली की मांग कर रहे हैं, जिसे वे अपनी लड़ाई का मुख्य मुद्दा मानते हैं।
केंद्र सरकार ‘पुरानी पेंशन’ बहाली की बजाए एनपीएस में सुधार कर एक नई पेंशन योजना ‘एकीकृत पेंशन योजना’ (यूपीएस) ले आई है। कहीं पर यूपीएस का विरोध हो रहा है तो कहीं इसे समर्थन मिला है। केंद्रीय कर्मचारियों की परिषद (जेसीएम) के सचिव शिवगोपाल मिश्रा ने इस योजना को शानदार बताया है। उनके नेतृत्व में 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री मोदी से मिला था। उन्होंने इसे सरकारी कर्मचारियों की जीत करार देते हुए पीएम मोदी का आभार जताया है। दूसरी तरफ केंद्र एवं राज्यों के कई बड़े कर्मचारी संगठनों ने इसे ‘छलावा’ करार दिया है।उन्होंने यूपीएस को, पुरानी पेंशन के तूफान से पहले की शांति बताया है। यूपीएस बनाम ओपीएस के इस दंगल में सरकार के पक्ष में कम तो खिलाफ ज्यादा हैं।
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पीएम की बैठक में शामिल केंद्रीय कर्मचारी और श्रमिक परिसंघ के अध्यक्ष रूपक सरकार कहते हैं, “ओपीएस का संघर्ष खत्म नहीं हुआ है। अभी हम यूपीएस पर एक विस्तृत अधिसूचना (नोटिफिकेशन) आने का इंतजार कर रहे हैं। बहुत सी बातें अभी स्पष्ट नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि सब खत्म हो गया। सरकार के साथ बातचीत जारी रहेगी। हालांकि, कर्मचारियों की लड़ाई के मूल में ओपीएस रहेगा, ये तय है।”
रूपक सरकार ने बताया, सरकार के साथ बातचीत चलती रहेगी। कई मुद्दों पर अभी तस्वीर साफ होनी बाकी है। नोटिफिकेशन में बहुत सी बातें स्पष्ट होंगी। इस बीच, ओपीएस की मांग जारी रहेगी। कुछ दिन बाद परिसंघ की बैठक होगी। उसके उपरांत जेसीएम की बैठक बुलाई जाएगी। अगली कड़ी में सरकार से बातचीत करेंगे। यूपीएस को लेकर विश्लेषण कर रहे हैं। इससे पहले केंद्रीय कर्मचारी और श्रमिक परिसंघ के महासचिव एसबी यादव कह चुके हैं कि पीएम की बैठक से पहले हमारा स्टैंड क्लीयर था। सरकारी कर्मचारियों को ओपीएस ही चाहिए। हमें नई पेंशन योजना ‘यूपीएस’ मंजूर नहीं है।
महाराष्ट्र में लंबे समय से ओपीएस की लड़ाई लड़ने वाले ‘महाराष्ट्र राज्य जुनी पेंंशन संघटना’ के राज्य सोशल मीडिया प्रमुख विनायक चौथे कहते हैं, “ओपीएस की लड़ाई खत्म नहीं हुई है। हमारा संगठन एनएमओपीएस के तहत अपना संघर्ष जारी रखेगा। भले ही महाराष्ट्र सरकार यूपीएस लागू करने की बात कह रही है, लेकिन कर्मचारियों को ये योजना मंजूर नहीं है। ओपीएस के लिए 15 सितंबर को शिरडी में ‘पुरानी पेंशन राज्य महा अधिवेशन’ आयोजित किया जाएगा। वहां मौजूद कर्मचारी ओपीएस लागू कराने के लिए शपथ लेंगे। उस आयोजन में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को भी बुलाया जाएगा। ओपीएस पर उनकी राय पूछेंगे। एनएमओपीएस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा ‘महाराष्ट्र राज्य जुनी पेंशन संघटना’ के अध्यक्ष वितेश खांडेकर के नेतृत्व में शिरडी का महाअधिवेशन होगा।
विनायक चौथे ने यूपीएस को अप्राकृतिक पेंशन योजना बताया है। उन्होंने कहा, “देश के 90 लाख सरकारी कर्मचारीयों की ओपीएस की मांग को दरकिनार कर केंद्र सरकार यूपीएस लाई है। कई लोग यूपीएस का बखान कर रहे हैं, लेकिन इसकी हकीकत कुछ और है। कर्मचारियों के जीवनभर की जमा पूंजी हड़पकर पेंशन देने का मतलब यूपीएस है। यूपीएस, एनपीएस की तरह ही कर्मचारी अंशदान पर आधारित अंशदायी योजना है।
इसमें कर्मचारी के वेतन से 10 प्रतिशत वेतन अंशदान की कटौती अनिवार्यतः जारी रहेगी। यूपीएस में पेंशन की पात्रता मूल सेवाकाल से नहीं, बल्कि कर्मचारी अंशदान के कटौती के कुल वर्ष से पेंशन निर्धारण होगा। जो कर्मचारी, आयु के 58/60 साल में सेवानिवृत्त होते हैं, उनके लिए जहां ओपीएस में फुल पेंशन (50 प्रतिशत पेंशन) के लिए 10 साल की न्यूनतम सेवा पर्याप्त हैं, वही यूपीएस में फुल पेंशन के लिए 25 साल सेवा (वास्तव में 25 साल की वेतन कटौती वाली सेवा) आवश्यक है।
बतौर विनायक चौथे, 10 साल की सेवा के बाद रिटायर्ड होने वाले कर्मचारी को अब 50 प्रतिशत पेंशन नहीं, अपितु 10 हजार रुपये न्यूनतम पेंशन मिलेगी। इसके लिए उसका 10 साल का अंशदान पहले ही जब्त कर लिया जाएगा। 10 लाख रुपये हड़प कर 10,000 रुपये पेंशन मिलेगी। यहां बता दें कि 10 साल बाद नौकरी छोड़ने पर भी 10,000 रुपये पेंशन मिलेगी, ये गलत है। अगर आप 40 वें साल में नौकरी छोड़ रहे हैं और आपकी सर्विस (अंशदान कटौती वर्ष) 10 साल है तो आपको पेंशन 40 वें साल से नहीं, बल्कि 58/60 साल बाद मिलेगी। वो भी आपकी अंशदान राशि जब्त करने के बाद। अगर किसी कर्मचारी की कुल सेवा 25 वर्ष भी है, किंतु उसकी 10 प्रतिशत अंशदान कटौती 15 साल तक की है तो यूपीएस में 15 साल की गणना होगी, न की 25 साल की। अर्थात 25 साल सर्विस करने वाले कर्मचारी भी 50 प्रतिशत पेंशन के लिए पात्र नहीं होंगे। ऐसे में अगर उसे 50 प्रतिशत पेंशन चाहिए तो उन्हें पिछले 10 साल का अंशदान एकमुश्त और वो भी ब्याज सहित सरकार को जमा करना पड़ेगा। उसकी भरपाई करनी पड़ेगी, तब जाकर 50 प्रतिशत पेंशन के लिए पात्रता मिलेगी। विनायक बताते हैं कि अब सोचिए कोई कर्मचारी वर्तमान में 10 प्रतिशत कटौती जारी रख कर एकसाथ 10 साल का अंशदान कहां से भरेगा। इतना सब करने के बाद उसे उसके जीवन काल की यह राशि कभी वापस नहीं मिलेगी। अपने हक के कर्मचारी अंशदान के लाखों रुपये सरकार हड़प कर लेगी। इस फार्मूले (आखिरी सेलरी का 10% ×टोटल सर्विस (टोटल कटौती वर्ष×2) के तहत मिलने वाली कुल राशि 100% में से केवल 6 से 10 % अमाऊंट वापस मिलेगी। बाकी बचा 90% कॉर्पस (कर्मचारी अंशदान), सरकार जब्त कर लेगी। वीआरएस लेने वाले कर्मचारियों के लिए यूपीएस में कोई प्रावधन नहीं है। अतः ऐसे कर्मचारियों के लिए अब वीआरएस की फुल 50% पेंशन के लिए पात्रता सेवा वर्ष 20 साल नहीं होगी, कर्मचारी 25 साल तक अंशदान कटौती करने बाद ही वीआरएस में 50% पेंशन ले सकता है। अगर उसने 20 वें साल में वीआरएस ले भी लिया तो केवल 40% पेंशन ही मिलेगी। उसके लिए भी 20 साल का कॉन्ट्रीब्युशन होना अनिवार्य होगा। सरकारी कर्मियों को ये सब स्थितियां, यूपीएस में झेलनी पड़ेंगी।
‘महाराष्ट्र राज्य जुनी पेंशन संघटना’ के पदाधिकारी के
मुताबिक, यूपीएस में वेतन आयोग लाभ नहीं मिलेगा। ओपीएस में जिस प्रकार नए वेतन आयोग पर पेंशन धारकों को पेंशन, बेसिक में 40 से 50% की बढ़ोतरी होती है, वह लाभ इस यूपीएस में नहीं है। इससे सेवानिवृत्त कर्मचारी आजीवन उसी पेंशन बेसिक पर पेंशन लेगा, जिस पर वह रिटायर्ड हुआ था। यूपीएस में 80 वर्ष + आयु वाली पेंशन वृद्धि नहीं मिलेगी। ओपीएस में अति सीनियर रिटायर्ड कर्मचारियों को 80 वर्ष आयु में जो 20% पेंशन वृद्धि मिलती हैं, जैसे 85 वर्ष – 30% , 90 वर्ष की आयु पर 40%, 95 वर्ष में 50% और 100 वर्ष की आयु में 100% पेंशन वृद्धि मिलती है, ये सब यूपीएस में नहीं होगा। ओपीएस में 40% पेंशन बिक्री का लाभ/ऑप्शन, यूपीएस स्कीम में नही है। यूपीएस, अंशदान सेवाकाल पर आधारित है। ऐसे में कर्मचारियों की कॉन्ट्रेक्ट सर्विस की गणना इसमें नहीं होगी। कुल मिलाकर केंद्र सरकार ने एनपीएस का ‘एन’ ‘यू’ से रिप्लेस कर, जो 50% पेंशन वाले आंकड़ों का जो छल किया हैं, वह बहुत बडा धोखा है। कर्मचारियों के लाखों रुपये हजम कर उन्हे उनके ही पैसों से पेंशन देने की कला हैं।
एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु ने केंद्र सरकार द्वारा एनपीएस के स्थान पर यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) लाना, इसे बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। केंद्र सरकार, शिक्षक/कर्मचारियों को एनपीएस और यूपीएस के नाम पर गुमराह कर रही है। यह व्यवस्था तो और भी खतरनाक साबित होगी। सरकार, इसके माध्यम से कर्मचारियों का शोषण और पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने का उद्देश्य पूरा कर रही है। हमारा आंदोलन इस प्रकार की व्यवस्था के खिलाफ है। पुरानी पेंशन बहाली का संघर्ष जारी रहेगा। जो लोग यह कह रहे हैं कि यूपीएस, ओपीएस के समकक्ष है तो फिर उन्हें ओपीएस से परहेज क्यों है। ओपीएस में भी अंतिम बेसिक सेलरी का 50% दिया जाता है तो उसे स्वीकार कर ले। 20 साल की नौकरी में पूरी पेंशन मिलने लगती है, फिर यूपीएस में 25 वर्ष का पीरियड क्यों रखा गया है। अब देश के सभी कर्मचारी संगठन, एकजुट होकर पुरानी पेंशन बहाली के लिए संघर्ष करेंगे।
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार, जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और जेसीएम के प्रतिनिधियों की बैठक का बहिष्कार किया था, वे ओपीएस के लिए संघर्ष करते रहेंगे। श्रीकुमार ने कहा, आईडीईएफ गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन के अपने रुख पर कायम है। यह योजना सरकारी कर्मचारियों का अंतर्निहित अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में कहा है कि पेंशन संविधान के 300ए के तहत संरक्षित है। कर्मचारियों के एक वर्ग को इस पेंशन से कैसे वंचित किया जा सकता है। ओपीएस की लड़ाई जारी रहेगी।
श्रीकुमार के अनुसार, कर्मचारियों को पेंशन देने के लिए उनके वेतन का 10% संचयी रूप से क्यों छीन लिया जाता है। सरकारी कर्मचारियों, विशेष रूप से रक्षा नागरिक कर्मचारियों का संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक हम गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन योजना हासिल नहीं कर लेते। अगर सरकार एनपीएस से यूपीएस का विकल्प दे सकती है तो ओपीएस का विकल्प देने में क्या दिक्कत है। यदि यूपीएस में मूल राशि का 50% दिया जा सकता है तो ओपीएस में भी 50% देना होगा। नाम बदलने से काम नहीं बदल जाता। अभी तक एनपीएस की तारीफ हो रही थी, अब यूपीएस की तारीफ हो रही है। ओपीएस, सामाजिक सुरक्षा का कवच है, बुढ़ापे का सहारा है। कर्मचारी इसे लेकर रहेंगे
हरियाणा में कई वर्ष से पुरानी पेंशन बहाली के लिए आंदोलन कर रहे एनएमओपीएसआईएनडी के राष्ट्रीय चीफ संगठन सचिव विजेंद्र धारीवाल ने कहा, हम केन्द्र सरकार द्वारा जारी यूपीएस को सिरे से खारिज करते हैं। उनके नेतृत्व में सरकारी कर्मचारी तिरंगा मार्च निकाल रहे हैं। 25 अगस्त को अम्बाला में यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, पंचकूला, करनाल और पानीपत के कर्मचारियों ने ओपीएस पर आवाज बुलंद की है। एक सितंबर को हिसार में फतेहाबाद, सिरसा, जींद, भिवानी और दादरी के कर्मचारी एकत्रित होंगे।
आठ सितंबर को रोहतक में सोनीपत, झज्जर, रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल और मेवात के कर्मचारी गरजेंगे। विजेंद्र धारीवाल के मुताबिक, कर्मचारियों को ओपीएस चाहिए, जब तक पूर्ण रूप से ओपीएस की बहाली नहीं होगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। ओपीएस बहाल न होने पर मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने की बात कही गई है।
‘नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने कहा, केंद्र सरकार ने यूपीएस लाकर कर्मचारियों के साथ छल किया है। यूपीएस तो एनपीएस से भी बुरा हो गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि अभी के एनपीएस में ये नियम है कि सेवा के दौरान कर्मचारी की मौत हो जाती है तो उसके परिजनों को पुरानी पेंशन स्कीम के तहत सेलरी का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता है। यूपीएस में ये यह प्रावधान भी नहीं है। हमारा आंदोलन ओपीएस के लिए था, सरकार ने पुरानी पेंशन जैसा कोई भी प्रावधान यूपीएस में शामिल नहीं किया है, इसलिए कर्मचारी अपना आंदोलन जारी रखेंगे।