Home PRIMARY KA MASTER NEWS Basic Shiksha: बुनियादी शिक्षा में पिछड़ते बच्चे आज भी बड़ी चुनौती

Basic Shiksha: बुनियादी शिक्षा में पिछड़ते बच्चे आज भी बड़ी चुनौती

by Manju Maurya

बुनियादी शिक्षा में पिछड़ते बच्चे आज भी बड़ी चुनौती 

यह आलेख एक तरह से हमारे संघर्षों की स्वीकारोक्ति है। हम नौ स्कूल चलाते हैं, जिनमें लगभग 2,700 छात्र हैं। हमारे लगभग 20 फीसदी छात्र तीसरी कक्षा तक बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान (एफएलएन) हासिल नहीं कर पाते हैं, जबकि छह प्रतिशत तो पांचवीं कक्षा तक भी एफएलएन हासिल नहीं कर पाते। पहले कक्षा तीन तक करीब 40 प्रतिशत छात्र संख्या ज्ञान अर्जित नहीं कर पाते थे; इसे 20 फीसदी तक लाने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी पड़ी और ऐसा लगता है कि हम इस स्तर पर अटक गए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) में घोषित लक्ष्य के अनुरूप हमारी भी प्रतिबद्ध कोशिश है कि कक्षा तीन तक सभी बच्चों को बुनियादी भाषा ज्ञान और गणित की क्षमता हासिल हो जाएं।

बुनियादी साक्षरता से अभिप्राय है, अत्यंत सरल पैराग्राफों को समझ के साथ पढ़ने और सरल वाक्यों को लिखने में सक्षम होना। इसी तरह, बुनियादी संख्यात्मक ज्ञान से आशय है, अंकों को पहचानना, उनके मान जानना और दो अंकों के जोड़-घटाव में समर्थ होना। आज की दुनिया में अपने जीवन को आगे बढ़ाने के लिए ये बुनियादी क्षमताएं अपर्याप्त, पर महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि आगे की ज्यादातर शिक्षा इन्हीं पर आधारित है। और चूंकि हमारे सामने इस मामले में व्यवस्थागत संकट है, इसलिए एक देश के रूप में हमें इससे निपटने की जरूरत है। यह समझने के लिए कि देश के शिक्षा क्षेत्र की क्या चुनौतियां हैं, हमारे स्कूलों के विवरणों और उनके संदर्भ को समझना आवश्यक है। देश की सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने में हम कुछ सहयोग कर सकें, इस उद्देश्य से इन स्कूलों को चलाते हैं। हम स्वयं इन स्कूलों से सीखते हैं और उन्हें सरकारी स्कूल के शिक्षकों व अधिकारियों के साथ ‘मॉडल’ रूप में साझा करते हैं। हमारे आठ स्कूल चार राज्यों के ग्रामीण इलाकों में हैं, एक बेंगलुरु में है। ये स्कूल पूरी तरह से निशुल्क हैं- कोई टॺूशन फीस नहीं, किताबों, वर्दी, मध्याह्न भोजन या किसी भी अन्य चीज के लिए कोई शुल्क नहीं।

हमारे 80 प्रतिशत से अधिक छात्र सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित तबकों और कमजोर परिवारों से हैं, शेष 15 फीसदी निम्न-मध्यम वर्गीय परिवारों और लगभग पांच प्रतिशत मध्यम वर्ग से। चूंकि इन स्कूलों की प्रतिष्ठा अच्छी है, इसलिए दाखिले के लिए मारामारी मची रहती है। सभी स्कूलों के पास अच्छे परिसर, शिक्षण व सीखने के भरपूर संसाधन और सक्षम, मेहनती व संवेदनशील शिक्षकों की टीमें हैं। तुलना करें, तो कह सकते हैं कि वे केंद्रीय विद्यालयों की तरह ही संसाधनयुक्त हैं।

फिर अपने छात्रों के इतने बडे़ हिस्से को बुनियादी रूप से साक्षर बनाने में हमें संघर्ष क्यों करना पड़ रहा है? ये लगभग सभी बच्चे उन 80 प्रतिशत बच्चों में से हैं, जो अभावों के बीच जीते हैं। वे गरीब हैं। इनमें से भी एक बड़ा हिस्सा अत्यधिक गरीबी वाले परिवारों, खासकर दलित समुदाय के हैं। चूंकि अपने छात्रों के परिवारों के साथ हमारे मजबूत रिश्ते हैं, इसलिए हम उनकी परिस्थितियों को अच्छी तरह से समझते हैं। बच्चों की शैक्षणिक उपलब्धि इस बात पर निर्भर करती है कि स्कूल में वे क्या सीखते हैं और घर व समुदाय से उन्हें क्या मिलता है, वे कैसे अनुभव अर्जित करते हैं!

गरीबी में जीने वाले बच्चों को बहुत कम मिलता है, और वे कठिन जीवन जीते हैं। जैसे, उन्हें पौष्टिक तो क्या, पर्याप्त भोजन भी नहीं मिलता, जो उनके जैविक विकास को ही नहीं, रोजमर्रा के व्यवहार को भी प्रभावित करता है। उन्हें कम स्नेह मिलता है। इसलिए नहीं कि उनके परिजन उन्हें कम प्यार करते हैं, बल्कि इसलिए कि ऐसे घरों के वयस्क ज्यादातर घर से दूर रहते हैं, जीविकोपार्जन के लिए संघर्ष करते हैं। ये बच्चे स्कूलों से बहुत गैरहाजिर रहते हैं, क्योंकि वे अधिक बीमार पड़ते हैं, उन्हें इलाज नहीं मिलता है और जब वे स्वस्थ होते हैं, तो अक्सर आजीविका में वयस्कों की मदद करते हैं। इन सबका उनकी शैक्षिक उपलब्धि पर प्रभाव पड़ता है।

स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में इन समाजशास्त्रीय और मनोवैज्ञानिक कारकों को सब समझते हैं, पर पाठॺक्रम और शैक्षणिक निहितार्थों की उनकी समझ अधूरी है। हम गरीबी में जीने वाले कई बच्चों के साथ लक्ष्य हासिल करने में सक्षम हैं, तो बाकी के साथ ऐसा क्यों नहीं कर सकते? इस पर गौर किए जाने की जरूरत है।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Related Articles

PRIMARY KA MASTER NOTICE

✍नोट :- इस ब्लॉग की सभी खबरें Google search से लीं गयीं, कृपया खबर का प्रयोग करने से पहले वैधानिक पुष्टि अवश्य कर लें, इसमें BLOG ADMIN की कोई जिम्मेदारी नहीं है, पाठक ख़बरे के प्रयोग हेतु खुद जिम्मेदार होगा!

PRIMARY KA MASTER

PRIMARY KA MASTER | primary ka master current news | primarykamaster | PRIMARY KA MASTER NEWS | primarykamaster news | up primary ka master | primary ka master | up ka master | uptet primary ka master | primary ka master com | प्राइमरी का मास्टर | basic siksha news | upbasiceduparishad |up basic news | basic shiksha parishad | up basic shiksha parishad | basic shiksha | up basic shiksha news | basic shiksha parishad news | basic news | up basic shiksha | basic shiksha news today | बेसिक शिक्षा न्यूज | बेसिक शिक्षा समाचार |basicshikshakparivar| basic shikshak parivar | basic shiksha samachar | basic ka master | basic shiksha com | up basic education news | basic shiksha vibhag | up basic shiksha latest news | Basicshikshak | up basic shiksha parishad news | uptet news | uptet latest news | uptet help | uptet blog | up tet news| updatemarts | update mart | SUPER TET | uptet latest news | uptetnews | www updatemarts com| updatemartsnews | ctet | d.el.ed | updeled | tet news | gurijiportal | upkamaster | basicshikshakhabar | primarykateacher | Shikshamitra | up shiksha mitra | shikhsa mitra news | govtjobsup | rojgarupdate | sarkari results | teachersclubs | sarkari master | sarkariresults| shasanadesh | tsctup |basicmaster | Basicguruji | sarkari rojgar

© Basic Shiksha Khabar | PRIMARY KA MASTER | SHIKSHAMITRA | Basic Shiksha News | UpdateMarts | Primarykamaster | UPTET NEWS

icons8-whatsapp-96