इलाहाबाद हाईकोर्ट की फटकार के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज ने कंपोजिट विद्यालय दारागंज की प्रधान अध्यापिका रुकैया अब्बासी का वेतन रोकने का आदेश वापस ले लिया। इस पर कोर्ट ने प्रधानाध्यापिका की याचिका स्वीकार कर ली।

न्यायमूर्ति अजय भनोट ने यह आदेश बीएसए की ओर से वेतन रोकने के आदेश को वापस लेने की जानकारी देने के बाद दिया। याची के अधिवक्ता लक्ष्मी कांत त्रिगुणायत का कहना था कि याची का पक्ष सुने बगैर शिकायत पर बीएसए ने जांच कमेटी की संस्तुति पर वेतन रोकने का मनमाना आदेश जारी किया है, जो कानून की निगाह में कायम रहने योग्य नहीं है।
- पीएफ बकाया डिमांड ड्राफ्ट से भी जमा होगा
- Primary ka master: इनसे सीखें: सेवानिवृत्ति के बाद भी छात्रों की खातिर गुरुजी नहीं हुए ‘रिटायर’
- Primary ka master: खंड शिक्षाधिकारियों विरुद्ध बैठक कर शिक्षकों ने व्यक्त किया रोष
- Primary ka master: CCL में खेल करने के मामले में बीईओ निलंबित
- Primary ka master: बेसिक स्कूलों में मिलेगी शिक्षा और सेहत की जानकारी
मामले के तथ्यों के अनुसार ज्योति कैनवास, गुंजन श्रीवास्तव व मीनू श्रीवास्तव ने आईजीआरएस जिलाधिकारी पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत कर आरोप लगाया कि रुकैया अब्बासी ने अध्यापिका रहते हुए परास्नातक व पीएचडी की डिग्री हासिल की है। इस पर तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई। जांच कमेटी ने प्रधानाध्यापिका को दस्तावेज पेश करने का दो बार आदेश दिया। इसके लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई।
इस पर समिति ने जांच लंबी खींचने के लिए आरोपी के वेतन रोकने की संस्तुति की, जिस पर बीएसए ने एक सप्ताह का समय दिया और शिकायत निस्तारित होने तक वेतन रोक दिया, जिसे याचिका में चुनौती दी गई थी।