नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड में तकनीकी ग्रेड टू (इलेक्ट्रिकल) पदों पर 2014 की भर्ती के संबंध में फैसला दिया है। कोर्ट ने 14 जुलाई 2015 की चयन सूची में स्थान पाने वाले और साक्षात्कार के समय कंप्यूटर साक्षरता प्रमाणपत्र (सीसीसी प्रमाणपत्र) दिखाने वालों की पुनर्नियुक्ति के आदेश दिए हैं। गलत ढंग से सेवा से बर्खास्त करने का आरोप लगाते हुए पुनर्नियुक्ति का आदेश देने की मांग वाली याचिकाओं यह फैसला आया है।
न्यायमूर्ति बीआर गवई व केवी विश्वनाथन की पीठ ने गत पांच नवंबर को दिए आदेश में क्हा कि जो लोग 14 जुलाई 2015 की चयन सूची में स्थान पाए थे और साक्षात्कार के समय सीसीसी प्रमाणपत्र पेश किया था, उन्हें नौकरी से बर्खास्त करना गलत था। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन उन्हें नौकरी से बर्खास्त करके गलती की। कोर्ट ने ऐसे लोगों को तत्काल प्रभाव से पुनर्नियुक्त करने का आदेश दिया है। हालांकि कोर्ट ने कहा है कि इन्होंने जिस अवधि में नौकरी नहीं की है, उस अवधि के बकाया वेतन का दावा नहीं कर सकते। लेकिन ये लोग 14
जुलाई 2015 की चयन सूची में पाए स्थान के मुताबिक सेवा की निरंतरता के साथ वरिष्ठता और परिणामी लाभ के हकदार होंगे।
शीर्ष अदालत ने उन लोगों की पुर्ननियुक्ति की मांग खारिज कर दी, जिनके पास साक्षात्कार के समय और उस तारीख पर सीसीसी प्रमाणपत्र नहीं था और उन्होंने उसके बाद प्रमाणपत्र हासिल किया था। कोर्ट ने कहा कि जब भर्ती विज्ञापन और यहां तक कि 1995 के नियमों में साक्षात्कार के समय सीसीसी प्रमाणपत्र पेश करना जरूरी है तो उसे बाद में पेश करने की इजाजत देना विज्ञापन और 1995 के नियमों के खिलाफ होगा। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए यह आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि कारपोरेशन ने हाई कोर्ट की एकल पीठ के आदेश को गलत समझ कर उन लोगों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया, जिन्हें उस आदेश के मुताबिक नौकरी में बने रहने का अधिकार था। शीर्ष अदालत ने कहा कि इतना ही नहीं एकल पीठ के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगाई थी।
यह मामला छह सितंबर 2014 को निकाले गए भर्ती विज्ञापन के मुताबिक की गई भर्तियों का था। हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक कई राउंड की मुकदमेबाजी हो चुकी है। इस मामले में कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि नियमों के मुताबिक वे लोग चयन सूची में शामिल थे और साक्षात्कार के समय उनके पास सीसीसी प्रमाणपत्र भी था, लेकिन फिर भी कारपोरेशन ने हाई कोर्ट की एकल पीठ के आदेश के बाद नई सूची तैयार की तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया। उनकी बर्खास्तगी गलत थी। उनकी पुनर्नियुक्ति का आदेश दिया जाए। जबकि कारपोरेशन की दलील थी कि जिन उम्मीदवारों के पास आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2014 को सीसीसी प्रमाणपत्र नहीं था, वे योग्य आवेदक नहीं माने जा सकते।