चंदौली। वर्षों पहले जिस अमर शहीद हीरा सिंह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हिंगुतरगढ़ के प्रधानाध्यापक सहित सभी शिक्षक रिटायर हो गए। उस स्कूल में कार्यरत चपरासी ही बच्चों का पंजीकरण कर रहा है। वर्तमान में भी यहां सैकड़ों छात्र छात्राएं पंजीकृत हैं। भले ही परिषदीय शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर सरकार तरह तरह के दावे कर रही है। किंतु शिक्षा विभाग के अधिकारी हैं कि चंद रुपयों के लालच में सब कुछ बर्बाद करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं।शिक्षा व्यवस्था के ऐसी ही बदहाली की एक दास्तान शासन द्वारा वित्त पोषित शहीद हीरा सिंह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हिंगुतरगढ़ की है।जहां के अभिलेखों पर नजर डालें तो उक्त स्कूल में 77 बालक और 34 बालिकाओं सहित कुल 121 छात्र छात्राएं पंजीकृत थे। जिसे 22 अक्टूबर 2024 को चपरासी लालजी ने बदलकर 101 कर दिया।
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- प्रदेश के गैर अनुदानित विद्यालयों को छोड़कर समस्त विद्यालयों में विद्यालय प्रबन्ध समिति (SMC) के गठन के सम्बन्ध में।
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फर्जीवाड़े की खबर छपी तो उसी दिन यह संख्या 60 दर्शा दी गई। ऐसा कहा जा रहा है कि यह सब फर्जीवाड़ा बीईओ अवधेश नारायण सिंह के मौखिक आदेश पर हो रहा है। 31 मार्च 2020 को ही यहां के प्रधानाध्यापक सूबेदार मिश्र और अंतिम शिक्षिका रहीं आशा सिंह के सेवा निवृत्त हो जाने के बाद से इस विद्यालय में पढ़ाने के लिए कोईशिक्षक नहीं है। लिपिक तक रिटायर हो गए हैं। यहां मात्र दो चपरासी लालजी और श्रवण कार्यरत हैं। इस वजह से यहां पठन पाठन पूर्णतया बंद है।
बावजूद इसके यहां 121 बच्चों का पंजीकरण भी कर लिया गया था। किंतु कागज में चल रहे फर्जीवाड़े के इस खेल का जैसे ही खुलासा हुआ, उक्त कर्मी ने 22 अक्टूबर को 121 की छात्र संख्या को 101 कर दिया गया। लेकिन जब उतने बच्चे नहीं मिले तो उसी दिन पंजीकृत बच्चों की संख्या 60 करके आनन फानन में सनरेज प्राइमरी बच्चों और वहीं के शिक्षकों को बुलाकर पठन पाठन शुरू करा दिया।ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जब यहां प्रधानाध्यापक और शिक्षक हैं ही नहीं तो बच्चों का पंजीकरण कर पढ़ाई लिखाई किसके आदेश पर संचालित हो रही है। यह बात पूछे जाने पर शिक्षा विभाग के सभी जिम्मेदार और जबाबदेह अधिकारी चुप्पी साध ले रहे हैं।
बीईओ की मेहरबानी से चपरासी बन गया प्रिंसिपल
चंदौली। बिगत दो वर्षों से सनरेज प्राइमरी स्कूल हिंगुतरगढ़ में कक्षा 6, 7 और 8 में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को अमर शहीद हीरा सिंह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हिंगुतरगढ़ की मार्कशीट मिल रही है। लेकिन उसपर प्रिंसिपल की जगह चपरासी की दस्तखत है। यह उन बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ तो है ही, उन बच्चों के अभिभावकों साथ भी धोखा है।