rampur, परिषदीय विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए शिक्षक समय से पहुंच रहे हैं या नहीं, बच्चों को शुद्ध और अच्छी गुणवत्ता का मिड-डे मील मिल रहा है या नहीं आदि समस्याओं को लेकर अभिभावक अपनी बात सीधे शासन तक पहुंचा सकें, इसके लिए टोल फ्री नंबर जारी किया गया था।
- जनपद में ऑडिट के संबंध में , आदेश जारी
- जिले में कार्यरत रसोइयों से एमडीएम से सम्बन्धित कार्य के अतिरिक्त अन्य कार्य न लिए जाने के संबंध में।
- फ्लैट में घुसकर शिक्षिका और उसके पति पर हमला, शिक्षक गिरफ्तार
- निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 एवं उत्तर प्रदेश आधनियम-2009 निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली-2011 के के अन्तर्गत प्रदेश के गैर अनुदानित विद्यालयों को छोड़कर समस्त विद्यालयों में प्रबन्ध समिति पुर्नगठन के सम्बन्ध में
- परिषदीय विद्यालयों की 1.25 लाख छात्राएं होंगी वित्तीय साक्षर
बावजूद इसके जल्द निदान हो सके, लेकिन जिम्मेदारों ने अपनी कमियों पर पर्दा डालने के लिए टोल फ्री नंबरों को दीवार से गायब ही कर दिया है। जिले में अधिकांश विद्यालयों की दीवारों पर ये नंबर गायब हैं। शासन शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और शिक्षकों की सौ प्रतिशत उपस्थिति के लिए गंभीर है, लेकिन धरातल पर स्थिति इससे बिल्कुल उलट है। स्थिति में सुधार के लिए महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने टोल फ्री नंबर जारी किया। इस नंबर को स्कूलों की दीवार पर लिखवाने के निर्देश दिए, ताकि अभिभावक को स्कूल में किसी भी तरह की गड़बड़ी मिलने पर विभागीय अधिकारी से भी समस्या का समाधान न होने पर भटकना न पड़े।
घर बैठे ही वे शिकायत करा सकें। विभाग की ओर से बीएसए के साथ ही बीईओ और जिला समन्वयकों को समय-समय पर स्कूलों का निरीक्षण करते रहने के आदेश हैं, लेकिन किसी भी जिम्मेदार को नंबर लिखवाए जाने की सुध ही नहीं है। साफ है कि या तो अधिकारी कागजों में ही निरीक्षण कर रहे हैं या वे देखकर भी अनजान बने हैं।