केंद्र सरकार ने जनवरी में ही 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) के गठन की घोषणा कर दी थी। इसके बाद से केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों को इस आयोग के गठन और अपेक्षित लाभों को लेकर बेसब्री से इंतज़ार है। हाल ही में वित्त मंत्रालय के व्यय सचिव मनोज गोविल ने एक साक्षात्कार में बताया कि 8वें वेतन आयोग का गठन अप्रैल तक हो सकता है। इससे केंद्र सरकार के लगभग 50 लाख कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनधारकों को फायदा मिलेगा।
क्या है अपडेट?
व्यय सचिव मनोज गोविल ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडिचर) की गति तेज़ होने के संकेत मिल रहे हैं। साथ ही, उन्होंने स्पष्ट किया कि अगले वित्तीय वर्ष (2024-25) में वेतन आयोग का कोई वित्तीय भार नहीं पड़ेगा। उनके अनुसार, आयोग के गठन के बाद उसकी रिपोर्ट तैयार करने और सरकार द्वारा उसे लागू करने में समय लगेगा। इसलिए, वेतन संशोधन से जुड़ा वित्तीय प्रभाव अप्रैल 2026 से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष में दिखेगा।
सरकार ने दी मंजूरी
राज्य सभा में एक प्रश्न के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने भी पुष्टि की कि सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को हरी झंडी दे दी है। आयोग से जुड़े अन्य निर्णय, जैसे इसके दायरे और कार्यप्रणाली, जल्द ही अंतिम रूप दिए जाएंगे।
न्यूनतम वेतन में हो सकती है बढ़ोतरी
केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों को उम्मीद है कि इस बार फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) को 1.92 से 2.08 के बीच बढ़ाया जा सकता है। यह फैक्टर वेतन और पेंशन की गणना के लिए एक गुणक का काम करता है। यदि इसे 2.08 तक बढ़ाया जाता है, तो केंद्रीय कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन वर्तमान ₹18,000 से बढ़कर ₹34,560 या ₹37,440 तक पहुंच सकता है।
क्यों ज़रूरी है वेतन आयोग?
केंद्र सरकार हर 10 साल में वेतन आयोग गठित करती है, जो सरकारी कर्मचारियों के वेतन ढांचे, भत्तों, पेंशन और अन्य लाभों की समीक्षा करता है। यह आयोग मुद्रास्फीति, अर्थव्यवस्था, आय असमानता और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए सिफारिशें करता है। वर्तमान में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें 31 दिसंबर 2025 तक लागू रहेंगी। 8वां वेतन आयोग जनवरी 2026 से प्रभावी होगा, जिससे सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को नए वित्तीय वर्ष से लाभ मिलना शुरू होगा।
इस प्रकार, 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें न केवल करोड़ों कर्मचारियों के जीवन स्तर को प्रभावित करेंगी, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा।