नई दिल्ली, । अधिकारी की सौतेली मां को पेंशन से इनकार पर सुप्रीम कोर्ट ने वायु सेना से सवाल किया। अदालत ने कहा वह इस बात की जांच करेगा।
- माननीय भाजपा विधायक रुदौली रामचंद्र यादव जी ने शिक्षकों के लिए भी विद्यालय समय 12:30 तक रखने के लिए शिक्षा निदेशक को लिखा पत्र
- जिला समन्वयक (बालिका शिक्षा) की मासिक समीक्षा बैठक दिनांक 15, 16, 17, एवं 2 अप्रैल 2025 का कार्यवृत्त
- शिक्षकों हेतु राज्य स्तरीय ICT प्रतियोगिता के संबंध में ।
- निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 12(1)(ग) के अन्तर्गत समीक्षा बैठक के सम्बन्ध में।
- अंतर्जनपदीय म्यूच्यूअल ट्रांसफर स्पेशल
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के उस फैसले पर सवाल उठाया जिसमें छह साल की उम्र से अपने सौतेले बेटे का पालन-पोषण करने वाली एक महिला को पारिवारिक पेंशन देने से इनकार कर दिया गया। पीठ ने कहा कि मां एक बहुत व्यापक शब्द है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने वायुसेना के वकील से कहा कि उदाहरण के लिए, जैविक मां के निधन के बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली। सौतेली मां बच्चे को पाल पोसकर बड़ा करती है और जब वह सेना में अधिकारी बन गया तो क्या वह महिला उसकी मां नहीं होगी?

पारिवारिक पेंशन के लिए नियम बनाए गए हैं वहीं, वायु सेना के वकील ने भारतीय वायुसेना के निर्णय को उचित ठहराने का प्रयास करते हुए कहा कि ऐसे अनेक निर्णय हैं जिनमें सौतेली मां को पारिवारिक पेंशन नहीं दी गई। वकील ने कहा कि इस अदालत के ऐसे निर्णय हैं जो सौतेली मां शब्द की व्याख्या करते हैं। नियमों के अंतर्गत एक सुस्थापित मानदंड है कि कौन पारिवारिक पेंशन के लिए पात्र है।