नई दिल्ली: स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और उन्हें इन्फ्रास्ट्रक्चर के स्तर पर मजबूत बनाने के लिए सरकार ने वैसे तो कई अहम कदम उठाए हैं। इनमें फिलहाल जो खास है, उनमें सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के साथ जोड़ने की योजना है। इसके तहत प्रत्येक सरकारी स्कूल को किसी निजी स्कूल के साथ संबद्ध किया जाएगा। वे आपस में मिल-जुलकर एक-दूसरे के संसाधनों का इस्तेमाल करेंगे। साथ ही एक-दूसरे के बेहतर काम-काज को अपनाएंगे भी।
शैक्षणिक आदान-प्रदान के साथ संसाधनों को भी करेंगे साझा
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद स्कूलों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए दूसरा जो अहम कदम उठाया गया है, वह विद्यांजलि योजना का नया चरण है। इसमें कोई भी शिक्षित या हुनरमंद व्यक्ति अब स्वयंसेवक के रूप में स्कूलों के साथ जुड़कर नई पीढ़ी के भविष्य को संवारने में मदद दे सकेगा। इनमें सेवानिवृत्त अधिकारी, खेल क्षेत्र से जुड़ी प्रतिभाएं, सेवानिवृत्त शिक्षक आदि में से कोई भी हो सकता है। हालांकि इसके लिए पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा। साथ ही किस क्षेत्र से जुड़े हैं, आदि की पूरी जानकारी देनी होगी। इसके आधार पर जरूरतमंद स्कूल ऐसे लोगों को खुद ही अपने यहां बच्चों को पढ़ाने या विशेष कक्षाएं लेने के लिए आमंत्रित करेंगे।
पांच हजार लोगों को बतौर स्वयंसेवक रजिस्ट्रेशन कराया
खास बात यह है कि यह नई पहल शुरू होने के बाद अब तक देशभर के करीब साढ़े पांच हजार लोगों ने स्कूलों में पढ़ाने के लिए बतौर स्वयंसेवक रजिस्ट्रेशन कराया है। यह संख्या हर दिन तेजी से बढ़ भी रही है। इसके साथ ही इस योजना के तहत कोई भी स्कूलों को जरूरी संसाधन भी मुहैया करा सकता है। जरूरतमंद स्कूलों को इसके लिए अपनी जरूरत का वितरण देना होगा। इसके तहत अब तक 20 हजार से ज्यादा स्कूलों की ओर से आवश्यक संसाधनों की मांग की जा चुकी है। इनमें से करीब 12 स्कूलों को मदद भी मिल गई है।
स्कूलों का संसाधनों से लैस होना जरूरी
हालांकि, सरकार इस पूरी मुहिम को तेज करने की कोशिशों में जुटी है। इसके लिए लोगों से आगे आने को कहा गया है। इतना ही नहीं, सरकार इस मुहिम को गांवों की शान से भी जोड़ने की योजना बना रही है, ताकि इन स्कूलों से पढ़ कर निकला गांव का हर व्यक्ति स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए आगे आए और सहयोग भी दे। मौजूदा समय में देश के सभी सरकारी स्कूलों के अपने पक्के भवन तो हैं, लेकिन इनमें छात्रों की पढ़ाई से जुड़े जरूरी संसाधन नहीं हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए स्कूलों का संसाधनों से लैस होना जरूरी है।