बैंक खाते में जाएगा परीक्षा ड्यूटी का पारिश्रमिक
लखनऊ। प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों की परीक्षा में ड्यूटी कर रहे शिक्षकों का भुगतान अब सीधे बैंक खाते में किया जाएगा। केंद्राध्यक्ष के माध्यम से उनकी उपस्थिति भी रोजाना आनलाइन दर्ज कराई जाएगी।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के निर्देश पर सभी विश्वविद्यालयों में यह व्यवस्था लागू की जा रही है। व्यवस्था में यह बदलाव एक सदस्यीय कमेटी की सिफारिशें के आधार पर किया गया गया है। राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी ने परीक्षा व्यवस्था में सुधार के संबंध में कई सुझाव दिए थे। कमेटी में तीन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व चार विश्वविद्यालयों के परीक्षा नियंत्रकों को भी शामिल किया गया था।
नई व्यवस्था के तहत परीक्षा के लिए विश्वविद्यालयों द्वारा महाविद्यालयों को दी जाने वाली अग्रिम धनराशि की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। अब विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा के लिए विभिन्न महाविद्यालयों को उनके यहां स्थापित परीक्षा केंद्र पर आवंटित परीक्षार्थियों की संख्या निर्धारित दर के आधार पर केंद्र व्यय की पूरी धनराशि परीक्षा से पहले ही एकमुश्त दी जाएगी।
यह धनराशि अग्रिम के रूप में नहीं होगी और न ही इसका समायोजन होगा। परीक्षा के बाद इसका उपभोग प्रमाणपत्र विश्वविद्यालय को दिया जाएगा। पूर्व में महाविद्यालयों को परीक्षा कराने के लिए अग्रिम धनराशि दी जाती थी, जिसका समायोजन नहीं हो पाता था और आडिट आपत्तियां आती थीं।
ताजा आदेश के अनुसार केंद्राध्यक्ष, सहायक केंद्राध्यक्ष व कक्ष निरीक्षक के पारिश्रमिक का भुगतान इनकी वास्तविक उपस्थिति के आधार पर किया जाएगा।
इसके लिए केंद्राध्यक्ष को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह दिन-प्रतिदिन के आधार पर इनकी उपस्थिति आनलाइन व्यवस्था के तहत विश्वविद्यालय को भेजेंगे। साथ ही इनका बैंक खाता विवरण व पैन नंबर भी विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराएंगे। परीक्षा खत्म होने के बाद विश्वविद्यालय द्वारा पारिश्रमिक की गणना करके उसका भुगतान सीधे बैंक खाते में किया जाएगा।