लखनऊ, । निशुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई) के तहत गरीब बच्चों का हक मारा जा रहा है और नकली आय प्रमाण पत्र, आधार बनवाकर आपात्र बच्चों का प्रवेश कराया जा रहा है। आरटीई में हो रहे इस खेल का खुलासा मंगलवार को हुआ जब राजाजीपुरम स्थित एक निजी विद्यालय ने तीन छात्रों की पड़ताल की और पता चला कि ये तीनों छात्र पूरी फीस देकर इसी विद्यालय में पढ़ रहे थे और सत्र 2022-23 में प्रवेश के लिए आरटीई के तहत यही विद्यालय इन छात्रों को आवंटित हो गया।
विद्यालय प्रबंधन ने आवंटित सूची के बच्चों का डाटा तैयार किया तो उनमें से तीन बच्चे पहले से ही विद्यालय के छात्र मिले। विद्यालय प्रबंधन के अनुसार बच्चा जिस निजी विद्यालय में कक्षा दो में पढ़ रहा है। वहीं पर आयु कम करके कक्षा एक में आरटीई में दाखिला ले रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि इस काम में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी गलत अभिभावक का पूरा सहयोग कर रहे हैं।
शासन का पक्ष
कई अभिभावाक ऐसी धांधली कर रहे हैं। पिछले साल भी कुछ ऐसे मामले आए थे। ऐसे अभिभावकों पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही सत्यापन में भी सख्ती बरती जाएगी। विजय प्रताप सिंह,
बेसिक शिक्षा अधिकारी
क्या कहते है नियम
आरटीई के अधिनियम की धारा 15.ए के अनुसार जो बच्चा पहले से ही किसी विद्यालय में पढ़ रहा है, उसका प्रवेश आरटीई के तहत नहीं हो सकता है। लाभार्थी के परिवार की वार्षिक आय एक लाख रूपये से कम होनी चाहिये।