नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश में 5जी सेवाएं अगले कुछ माह में शुरू हो जाएंगी। इसके साथ ही 6जी सेवा के लिए भी सरकार की ओर से कोशिशें की जा रही हैं। इसके लिए गठित कार्यबल ने काम शुरू कर दिया है। अगले डेढ़ दशक में 5जी के जरिए देश की अर्थव्यवस्था में 450 अरब डॉलर का योगदान होगा। इससे रोजगार के नए अवसर भी सृजत होंगे।
प्रधानमंत्री ने मंगलवार को भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के रजत जयंती समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए शिरकत की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि 5जी के लिए देश में एक मानदंड बनाया गया है, उससे इस प्रौद्योगिकी को गांवों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
5जी प्रौद्योगिकी देश के शासन, व्यापार और आम लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगी। इससे खेती, स्वास्थ्य, शिक्षा, अवसंरचना समेत हर क्षेत्र में प्रगति को बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि 5जी के बाद इस दशक के अंत तक 6जी सेवा शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है।
पौने दो लाख ग्राम पंचायतें ब्रॉडबैंड से जुड़ीं : प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले देश में 100 ग्राम पंचायतें भी ऑप्टिकल फाइबर से नहीं जुड़ी थीं, मगर आज करीब पौने दो लाख पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोड़ा जा चुका है। कुछ समय पहले सरकार ने देश के नक्सल प्रभावित जनजातीय जिलों में 4जी सुविधा पहुंचाने की बड़ी शुरुआत की है। वहीं, मोदी ने 2जी को हताशा और निराशा का पर्याय बताते हुए पूर्व यूपीए सरकार पर भी निशाना साधा।
5जी स्पेक्ट्रम नीलामी का प्रस्ताव भेज सकता है
5जी स्पेक्ट्रम नीलामी के प्रस्ताव को दूरसंचार विभाग अगले सप्ताह अंतिम मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेज सकता है। सूत्र ने मंगलवार को यह जानकारी दी। डिजिटल संचार आयोग ने ट्राई की तरफ से सुझाए गए आधार मूल्य को अंतिम रूप दे दिया है। हालांकि ट्राई की तरफ से सुझाए गए आधार मूल्य का विरोध किया है।
ढांचागत आधार पर काम जारी: वैष्णव
दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि देश के वैज्ञानिकों और अभियंताओं ने 4जी नेटवर्क का ढांचागत आधार विकसित कर लिया है। जबकि, 5जी नेटवर्क का ढांचागत आधार विकास के अग्रिम स्तर पर है। इस साल के अंत तक यह पूरी तरह तैयार हो जाएगा।
5जी टेस्ट बेड की शुरुआत
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर आईआईटी मद्रास के नेतृत्व में कुल आठ संस्थानों द्वारा सहयोगी परियोजना के रूप में विकसित 5जी टेस्ट बेड की भी शुरुआत की। इस परियोजना पर करीब 220 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। परियोजना में भाग लेने वाले अन्य संस्थानों में आईआईटी दिल्ली, आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी कानपुर, आईआईएस बेंगलोर, सोसाइटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन वायरलेस टेक्नोलॉजी शामिल हैं। यह तकनीक भारतीय उद्योगों और स्टार्टअप के लिए लाभदायक होगी। प्रधानमंत्री ने इस परियोजना से जुड़े शोधार्थियों और संस्थानों को बधाई देते हुए कि यह दूरसंचार क्षेत्र में आधुनिक तकनीक की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम है। इस दौरान उन्होंने एक डाक टिकट भी जारी किया।