लखनऊ: प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक लगातार शिक्षणेतर कार्य कराए जाने का विरोध कर रहे हैं, वहीं बेसिक शिक्षा विभाग उन पर जिम्मा थोप रहा है। ताजा प्रकरण डीबीटी यानी डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर का है। शिक्षकों का आरोप है कि आधार प्रमाणीकरण का ठेका श्रीटान इंडिया को सौंपा गया है लेकिन, फीडिंग शिक्षकों से ही कराई जा रही है, इससे उन्हें हटाया जाए। सरकार इस वर्ष प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के अभिभावकों को यूनीफार्म, स्कूल बैग, जूता-मोजा व स्वेटर का धन सीधे खाते में भेजना चाहती है।
शासन ने इसकी अनुमति दे दी है और विभाग ने डीबीटी एप भी लांच कर दिया है। शिक्षकों को निर्देश है कि वे इस एप को अपने मोबाइल पर डाउनलोड करके अभिभावकों के संबंध में सूचनाएं फीड कर दें। इसमें उनका नाम, बैंक का नाम, खाता संख्या आदि फीड किया जाना है। विभाग का दावा है कि करीब डेढ़ लाख शिक्षकों ने एप डाउनलोड कर लिया है, हालांकि सूचनाएं फीड किए जाने की रफ्तार बेहद धीमी है। सोमवार को आठ लाख व मंगलवार को करीब दस लाभ अभिभावकों की सूचनाएं दर्ज हो सकी हैं। ज्ञात हो कि लाभ पाने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या एक करोड़ साठ लाख से अधिक है।
विशिष्ट बीटीसी वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी व वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष शालिनी मिश्रा ने मुख्यमंत्री को भेजकर इस कार्य पर कड़ा ऐतराज जताया है, उनका कहना है कि एमडीएम, बीएलओ व आनलाइन फीडिंग का कार्य जबरन कराया जा रहा है। इसके लिए संसाधन भी नहीं दिया गया है। शालिनी ने कहा कि शिक्षकों से कहा जाता है कि प्रवेश पंजिका, आधारकार्ड व बैंक खाते में अभिभावक का नाम एक ही होना चाहिए। उन्होंने पूछा है कि आखिर शिक्षक के पास कौन सी शक्ति है जो तीनों जगह नाम ठीक करा दें। उन्होंने कहा कि जब श्रीटान को प्रमाणीकरण का जिम्मा है तो शिक्षकों से क्यों कराया जा रहा। जबकि ब्लाक स्तर पर कंप्यूटर अनुदेशक भी तैनात