प्रयागराज: एसएससी ग्रेड सी-डी परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने के आरोपी भले ही जेल भेज दिए गए हों, लेकिन पुलिस उनसे इस खेल के मास्टरमाइंड का नाम नहीं उगलवा सकी। 22 घंटे की पूछताछ के बाद भी पुलिस यह नहीं पता कर पाई कि इतने बड़े पैमाने पर होने वाले फर्जीवाड़े के पीछे आखिर कौन था। इससे पुलिस की कार्रवाई को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। उल्टा पुलिस अफसर यही कहते रहे कि फिलहाल पकड़े गए आरोपियों के बीच किसी तरह का कोई कनेक्शन सामने नहीं आया है।
जिस तरह से इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ, उससे आशंका जताई गई कि इस खेल के पीछे किसी बड़े नकल माफिया गिरोह का हाथ है। दरअसल सभी आरोपी एक ही परीक्षा केंद्र पर पकड़े गए। साथ ही एक ही पाली की परीक्षा केदौरान उन्हें पकड़ा गया। इनमें प्रयागराज से लेकर बिहार, चित्रकूट व वाराणसी के भी युवक शामिल हैं। जानकारों का कहना है कि बहुत बड़े पैमाने पर खेल होने के बाद ही इस तरह का फर्जीवाड़ा संभव है।
ऐसा न होता तो एक ही परीक्षा केंद्र पर लगभग दो दर्जन युवक ों को दूसरे की जगह पर परीक्षा में बैठाया जाना लगभग नामुमकिन है। लेकिन लगभग 22 घंटे की पूछताछ के बाद भी पुलिस ऐसी किसी संभावना से इंकार करती रही। आरोपियों से गहन पूछताछ के बाद भी इस खेल के मास्टरमाइंड का नाम पुलिस नहीं पता कर पाई। हाल यह रहा कि आरोपियों के बीच किसी तरह का कनेक्शन है या नहीं, इस बारे में भी पुलिस के पास कोई जानकारी नहीं है।
अब सवाल यह उठता है कि अगर आरोपियों का आपस में कोई कनेक्शन नहीं है तो आखिर सभी एक ही परीक्षा केंद्र पर परीक्षा देने कैसे पहुंच गए। इस मामले में सीओ सिविल लाइंस सुधीर कुमार का कहना है कि आरोपियों से पूछताछ की गई। लेकिन उन्होंने एक-दूसरे से जान पहचान की बात नकार दी है। फिलहाल किसी गिरोह के बाबत भी जानकारी नहीं मिली है।
छह घंटे क्यों दबाए रखा गया मामला?
इस मामले में एक और बात सामने आई है कि करीब छह घंटे तक मामला दबाए रखा गया। जिसे लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। तीन बजे के करीब पुलिस को मामले की जानकारी मिल गई थी। जिसके कुछ घंटे बाद ही सभी आरोपियों को थाने ले जाया गया। हालांकि रात नौ बजे तक पुलिस कोई जानकारी देने की स्थिति में नहीं थी। रात करीब 10 बजे आरोपियों की गिरफ्तारी की पुष्टि की गई।