Home UP News समान नागरिक संहिता लाने की तैयारी में केंद्र, समान नागरिक संहिता है क्या? जानिए

समान नागरिक संहिता लाने की तैयारी में केंद्र, समान नागरिक संहिता है क्या? जानिए

by Manju Maurya

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देश के नागरिकों के लिए ‘समान नागरिक संहिता’ लाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस कानून का केंद्रीय बिल किसी भी समय संसद में पेश किया जा सकता है। परीक्षण के तौर पर उत्तराखंड में कानून बनाने की कवायद शुरू की गई है। वहां एक कमेटी का गठन भी कर दिया है। खास बात, इस कमेटी के लिए ड्राफ्ट निर्देश बिन्दु केंद्रीय कानून मंत्रालय ने ही भेजे हैं। इससे साफ है, कानून का ड्राफ्ट केंद्र सरकार के पास तैयार है।

राज्यों में बने कानून केंद्रीय बिल में समाहित होंगे : केंद्र सरकार के उच्चतर सूत्रों के अनुसार, राज्यों में बने समान नागरिक संहिता कानूनों को बाद में केंद्र सरकार के कानून में समाहित कर दिया जाएगा। क्योंकि एक समानता लाने के लिए कानून का केंद्रीय होना जरूरी है।

राज्यों में इस कानून को परीक्षण के तौर पर बनवाया जा रहा है। यह पहला मौका है जब सरकार ने इस कानून के लाने के बारे में इतनी स्पष्टता से जानकारी साझा की है। मामले से जुड़े आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह समान नागरिक संहिता कानून अवश्य आएगा लेकिन कब और किस समय, यही सवाल है।

विधि आयोग की तरह राज्य स्तर पर कमेटियां बनाई जा रहीं: केंद्र सरकार का इरादा था कि समान नागरिक संहिता पर राष्ट्रीय विधि आयोग से रिपोर्ट ले ली जाए लेकिन विधि आयोग के 2020 में पुनर्गठन होने के बावजूद कार्यशील नहीं होने के कारण राज्य स्तर पर कमेटियां बनाई जा रही हैं। कमेटी का फॉर्मेट विधि आयोग की तरह ही है।

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में तैयारी : सरकार की ओर से बनाई गई कमेटी में सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रंजना देसाई, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज प्रमोद कोहली, पूर्व आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह और दून विवि की वीसी सुरेखा डंगवाल शामिल हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि यह कमेटी अन्य राज्यों मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश में भी बनाई जा सकती है। ये राज्य समान नागरिक संहिता के लिए पहले ही हामी भर चुके हैं। यहां तक कहा है कि समीक्षा की जा रही है और जल्द फैसला लिया जाएगा। कमेटी के संदर्भ बिन्दु केंद्र ने दिए हैं।

एक देश के रूप में आगे बढ़ना ही होगा: अधिकारियों से जब यह पूछा गया कि आदिवासियों के लिए इस कानून को कैसे लागू किया जाएगा, क्योंकि उनके कानून उनकी रीतियों के अनुसार होते हैं। देश में 10 से 12 करोड़ आदिवासी रहते हैं जिनमें से 12 फीसदी के आसपास अकेले पूर्वोत्तर में रहते हैं।

वहीं, कानून के आने से संयुक्त हिन्दु परिवार को आयकर में मिलने वाली छूट समाप्त हो जाएगी। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि हमें एक देश के रूप में आगे बढ़ना है तो थोड़ा तो साथ देना होगा।

लगभग 20 फीसदी मुकदमे समाप्त होंगे
एक समान कानून बनने से विभिन्न कानूनों का जाल खत्म होगा और इससे देश में करीब 20 फीसदी दीवानी मुकदमे स्वत:समाप्त हो सकते हैं। क्योंकि सभी नागरिकों पर भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) की तरह से यह कानून लागू होगा।

समान नागरिक संहिता है क्या
● समान नागरिक संहिता से देश में सभी नागरिकों के लिए विवाह, विवाह की उम्र, तलाक, पोषणभत्ता, उत्तराधिकार, सह-अभिभावकत्व, बच्चों की कस्टडी, विरासत, परिवारिक संपत्ति का बंटवारा, वसीयत, चैरिटी-दान आदि पर एक समान कानून हो जाएगा चाहे वे किसी भी धर्म या संप्रदाय या मत से हों।

● इसकी वकालत करने वालों का कहना है कि देश में सभी नागरिकों के लिए एक जैसा नागरिक कानून होना चाहिए, चाहे वो किसी धर्म के क्यों ना हों। इस तरह के कानून के अभाव में महिलाओं के बीच आर्थिक और सामाजिक असुरक्षा बढ़ती जा रही है।

शादी से संपत्ति तक स्त्रियों के हक अलग

  1. मुस्लिम लॉ में बहुविवाह (चार शादियों तक) की छूट है पर अन्य धर्मों में एक पति एक पत्नी का नियम कड़ाई से लागू है
  2. संतानहीनता या नपुंसकता जैसा उचित कारण होने पर भी हिंदू, ईसाई, पारसी के लिए दूसरा विवाह दंडनीय अपराध है
  3. मुस्लिम धर्म में शादी के लिए उम्रसीमा नहीं है, नौ वर्ष की कन्या से विवाह संभव। जबकि अन्य धर्म में यह 21 वर्ष है
  4. संपत्ति के कानून मुसलमानों में पुरुष के हक में झुके हैं जबकि हिन्दुओं में स्त्रत्त्ी को बराबर हक, मुसलमानों में वसीयत भी एक तिहाई संभव वह भी मौखिक, तलाक के बाद सीमित समय तक ही गुजारा भत्ता दिया जाता

ऐसे समझें

● हिन्दुओं का कानून वेद, उपनिषद, स्मृति, न्याय के आधुनिक मत, बराबरी पर आधारित है जबकि मुसलमानों का कानून कुरान, सुन्नाह, इज्मा, कियास पर आधारित

● ईसाइयों का कानून बाइबल, रूढियां, तर्क और अनुभव के आधार पर बने हैं। पारसियों के कानून का आधार उनके धार्मिक ग्रंथ जेंद एवेस्ता और रूढियां हैं

Related Articles

PRIMARY KA MASTER NOTICE

✍नोट :- इस ब्लॉग की सभी खबरें Google search से लीं गयीं, कृपया खबर का प्रयोग करने से पहले वैधानिक पुष्टि अवश्य कर लें, इसमें BLOG ADMIN की कोई जिम्मेदारी नहीं है, पाठक ख़बरे के प्रयोग हेतु खुद जिम्मेदार होगा!

PRIMARY KA MASTER

PRIMARY KA MASTER | primary ka master current news | primarykamaster | PRIMARY KA MASTER NEWS | primarykamaster news | up primary ka master | primary ka master | up ka master | uptet primary ka master | primary ka master com | प्राइमरी का मास्टर | basic siksha news | upbasiceduparishad |up basic news | basic shiksha parishad | up basic shiksha parishad | basic shiksha | up basic shiksha news | basic shiksha parishad news | basic news | up basic shiksha | basic shiksha news today | बेसिक शिक्षा न्यूज | बेसिक शिक्षा समाचार |basicshikshakparivar| basic shikshak parivar | basic shiksha samachar | basic ka master | basic shiksha com | up basic education news | basic shiksha vibhag | up basic shiksha latest news | Basicshikshak | up basic shiksha parishad news | uptet news | uptet latest news | uptet help | uptet blog | up tet news| updatemarts | update mart | SUPER TET | uptet latest news | uptetnews | www updatemarts com| updatemartsnews | ctet | d.el.ed | updeled | tet news | gurijiportal | upkamaster | basicshikshakhabar | primarykateacher | Shikshamitra | up shiksha mitra | shikhsa mitra news | govtjobsup | rojgarupdate | sarkari results | teachersclubs | sarkari master | sarkariresults| shasanadesh | tsctup |basicmaster | Basicguruji | sarkari rojgar

© Basic Shiksha Khabar | PRIMARY KA MASTER | SHIKSHAMITRA | Basic Shiksha News | UpdateMarts | Primarykamaster | UPTET NEWS

icons8-whatsapp-96