अमेठी। प्रदेश सरकार की ओर से शिक्षामित्रों को लेकर की गई घोषणा को शिक्षामित्रों ने नाकाफी बनाया है। हालांकि कुछ शिक्षामित्र संगठनों ने कहा कि सरकार के इस फैसले से उम्मीद की एक लौ जगी है।
जिले में शिक्षामित्रों की कुल संख्या 1,523 है। इनमें300 को बेसिक शिक्षा विभाग तो 1,203 को सर्व शिक्षा अभियान के तहत तैनाती दी गई है। 1999 से 2005 के बीच संविदा पर नियुक्त किए गए इन शिक्षकों को मौजूद समय 10 हजार रुपये मानदेय (प्रत्येक वर्ष 11 माह तक का) मिलता है। साथ ही गत कुछ वर्षों से स्वत: नवीनीकरण (कोई शिकायत नहीं होने की स्थिति में) की व्यवस्था है
अपने हक को लेकर कुछ वर्ष पूर्व तक संघर्षरत रहने वाले शिक्षामित्र फिलहाल शांत चल रहे हैं। इसी बीच शुक्रवार को शासन ने शिक्षामित्रों को 60 साल तक सेवा में बने रहने का तोहफा दिया। हालांकि सरकार ने नवीनीकरण व्यवस्था को लागू रखने का आदेश दिया है। शासन का यह आदेश सार्वजनिक होने के बाद शनिवार को शिक्षामित्रों के कई संगठन व उनके पदाधिकारियों ने इस पर अलग-अलग तरह से टिप्पणी की।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के जिलाध्यक्ष संजय कनौजिया ने कहा कि सरकार का यह निर्णय शिक्षामित्रों को हतोत्साहित करने वाला है। शासन को शिक्षामित्रों की सेवानिवृत्ति की ऊम्र 62 वर्ष रखनी चाहिए थी। साथ ही नवीनीकरण की व्यवस्था समाप्त की जानी चाहिए थी। इससे शिक्षामित्रों को शोषण से निजात मिलती
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के जिला महामंत्री राजमणि शर्मा ने कहा कि 10 हजार का मानदेय कुछ नहीं होता। इतने में शिक्षमित्र अपना पेट नहीं पाल सकते परिवार तो दूर की बात। सरकार को कम से कम न्यूनतम मानदेय 30 हजार रुपये प्रति माह (12 माह तक) करना चाहिए जिससे शिक्षामित्रों के परिवार का भरण पोषण हो सके।
आदर्श समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष विजय बहादुर सिंह ने कहा कि सरकार के इस फैसले से उम्मीद की एक किरण जागृत हुई है। सरकार ने एक रास्ता खोला है। शिक्षामित्रों का सम्मेलन 20 फरवरी को लखनऊ में है। वहां हम एक बार फिर साथ में मंच साझा करने वाले विभागीय मंत्री से अपनी मांगें रखेंगे।