लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
मेडिकल कॉलेज हो या हॉस्पिटल, नर्सिंग हो या पैरामेडिकल कॉलेज, अगर गुणवत्ता है, मानक पूरा है तो उसकी शासन की सभी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। और अगर वह मानक पूरा नहीं करता तो ऐसे संस्थानों को अपनी सूची से बाहर किया जाना चाहिए। सीएम ने यह बातें बुधवार को क्वालिटी कंट्रोल के लिए रैंकिंग जारी करने के दौरान कहीं। सीएम ने कहा कि क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया द्वारा शुचिता और पारदर्शिता के साथ की गई नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों की गुणवत्ता रैंकिंग अन्य संस्थानों को भी बेहतर करने के लिए प्रेरित करेगी।
मिशन निरामया जैसे अभिनव प्रयास के लिए मुख्यमंत्री के विजन को प्रेरक बताते हुए क्यूसीआई के सेक्रेटरी जनरल आरपी सिंह ने बताया कि उप्र के इस प्रयास का अनुकरण करते हुए नीति आयोग ने इंडियन नर्सिंग कॉउंसिल को ऐसी ही व्यवस्था पूरे देश में लागू करने का परामर्श दिया है। इससे पहले, क्यूसीआई सेक्रेटरी जनरल ने रेटिंग तय करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में मुख्यमंत्री को विस्तार से जानकारी दी। बताया कि 34 दिन के भीतर क्यूसीआई की टीम प्रदेश के हर संस्थान नर्सिंग व पैरामेडिकल संस्थान में गई। वहां तय मानकों पर शैक्षिक गुणवत्ता की परख की गई। शुचिता का ध्यान रखते हुए परीक्षकों ने बॉडी वार्न कैमरे लगाए हुए थे और पूरे परीक्षण प्रक्रिया की विधिवत रिकॉर्डिंग की जा रही थी। परीक्षण के बाद 267 संस्थानों ने अपील सबमिट की थी, सभी को उनके वीडियो दिखा कर उनकी आपत्तियों का समुचित समाधान किया गया। इसमें 64 ने समस्याएं भी रखीं और अंतत सभी की जिज्ञासा का समाधान करते हुए अन्तिम रूप से संस्थानों और पाठ्यक्रमों की रेटिंग तैयार की गई।