पंचायत चुनाव में हुई थी कोरोना संक्रमित, हाईकोर्ट के आदेश पर हुई जांच
बाराबंकी। कोविड की दूसरी लहर में हुए पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान तमाम कर्मचारी कोरोना से संक्रमित होकर जान गवां बैठे थे। प्रदेश सरकार ने चुनाव के 30 दिनों के दरम्यान संक्रमित कार्मिक की मृत्यु होने पर 30 लाख मुआवजे की घोषणा की थी, ले कि न आरटीपीसीआर रिपोर्ट एवं बीमारी रेखा रानी फाइल फोटो से संबंधित दस्तावेजों के कारण कई आवेदन निरस्त भी हुए थे।
ऐसा ही एक प्रकरण विकास खंड सूरतगंज की ग्राम पंचायत रिछला के प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षा मित्र
मुआवजे को बीडीओ ने किया था निरस्त तो कोर्ट पहुंचा आश्रित
रेखा रानी का भी है। वर्ष 2021 अप्रैल में इनकी ड्यूटी पंचायत चुनाव में लगी हुई थी, लेकिन तभी यह कोरोना से संक्रमित हो गई थी। परिजनों ने बहराइच जिला अस्पताल में इनकी जांच कराई, जिसमें रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। बाद में हालत बिगड़ी और लखनऊ के एक निजी अस्पताल में इन्होंने दम तोड़ दिया था। मुख्यमंत्री के मुआवजा देने की घोषणा के बाद पति कमलेश ने खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय सूरतगंज में आवेदन किया। यहां कई बार चक्कर लगवाने के बाद दस्तावेजों में कमी बताकर आवेदन को निरस्त कर दिया गया था।
आखिरकार कमलेश ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई। बीते अप्रैल माह में हाईकोर्ट ने डीएम को आदेश कर मामले के निस्तारण भेज दी।
के आदेश दिए थे। सीएमओ ने जांच की तो आरटीपीसीआर रिपोर्ट प्राप्त हो गई और मामला निस्तारण योग्य बताते हुए रिपोर्ट
29 लोगों को दिया गया है
मुआवजा : पंचायत चुनाव में कोविड से मृत कार्मिकों को मुआवजा दिलाने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था, जिसमें डीडीओ, सीएमओ और डीपीआरओ शामिल हैं। ऐसे 57 लोगों ने आवेदन किया था जिसके सापेक्ष संबंधित विभागों ने 37 को मुआवजा देने की संस्तुति की थी। हालांकि सीएमओ की ओर से गठित जांच समिति ने इनमें से आठ आवेदन अपात्र घोषित कर दिए थे। अब तक 29 लोगों को मुआवजा दिया गया है। वहीं शिक्षा मित्र सुशील कुमार और विनीता गौतम के मामले अभी न्यायालय में विचाराधीन हैं।