लखनऊ, । यूपी सरकार का अनुदानित मदरसों के छात्र छात्राओं को अब प्रमुख शिक्षण संस्थाओं में पढ़ाने का इरादा है। यूपी सरकार ने इसी मंशा के साथ सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल कर दिया है। पर यूपी मदरसा बोर्ड के चेयरमैन, मदरसा शिक्षक व प्रबंधक इस पहल से नाखुश हैं।
इस बाबत हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के इस 22 मार्च को दिये गये आदेश और हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में 4 अप्रैल को जारी शासनादेश के खिलाफ दायर की गयी पांच याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट 16 जुलाई को होनी है। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डा.इफ्तेखार अहमद जावेद का कहना है कि मदरसों को बंद करके उनमें पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को मुख्यधारा के स्कूलों में दाखिल करना उचित नहीं है। हां, अगर प्रदेश में जिस एक्ट से मदरसे संचालित होते हैं उस एक्ट में कुछ जरूरी बदलाव किये जाने की जरूरत समझी जा रही है तो वह बदलाव किये जा सकते हैं। उधर, मदरसों के शिक्षकों के संगठन आल इण्डिया टीचर्स एसोसिएशन मदारसि-ए-अरबिया के महासचिव वहीदुल्लाह खान सईदी का कहना है कि मदरसों में सिर्फ धार्मिक शिक्षा ही नहीं दी जाती बल्कि प्राच्य भाषाओं के संरक्षण व पठन-पाठन के लिए संचालित होते हैं।