नई दिल्ली, । देश की सबसे कठिन प्रवेश परीक्षाओं में से एक नीट में हुई गड़बड़ी ने डॉक्टर बनने का सपना देखने वाले लाखों छात्रों के मन में शंका पैदा कर दी। उसके बाद नेट का पेपर लीक हुआ, जिसने परीक्षा तंत्र पर लोगों के भरोसे को और डिगा दिया। पूरे देश में परीक्षा व्यवस्था को गड़बड़ी से मुक्त करने की मांग उठने लगी। सरकार ने राधाकृष्णन समिति को प्रतियोगी परीक्षाओं को पूरी तरह से लीकप्रूफ करने की जिम्मेदारी सौंपी है।
आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान ने भी इस काम में योगदान देने का फैसला लिया। हमने उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, बिहार, हरियाणा और झारखंड में कुल 146 स्थानों पर 20 हजार से अधिक अध्यापकों, अभिभावकों, शिक्षा विशेषज्ञों और छात्रों से इस विषय पर सार्थक संवाद किया। इस दौरान सैकड़ों सुझाव मिले, जिन्हें कलमबद्ध कर हम केंद्र सरकार तक पहुंचाएंगे। यह पहला मौका है जब प्रवेश परीक्षा से जुड़े मुद्दे को लेकर एक ही मंच पर इतने लोग जुटे। संवाद में छात्रों और जिम्मेदार लोगों ने नीट को जेईई की तरह दो हिस्सों में कराने, परीक्षा से चंद मिनट पहले प्रश्नपत्र उपलब्ध कराने व लीक प्रूफ बनाने के लिए सर्वश्रेष्ठ तकनीक का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। कुछ छात्रों ने यह भी कहा कि ग्रेस मार्क्स की जगह अतिरिक्त समय मिले। एक अहम सुझाव आया कि देश में यदि मेडिकल को लेकर इतना क्रेज है तो सरकार को मेडिकल कॉलेज व उनमें सीटें बढ़ानी चाहिए।
प्रमुख सुझाव
● सीएस या सीए की परीक्षाओं की तर्ज पर प्रश्नपत्रों को परीक्षा केंद्र पर पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए। इसमें कोड का उपयोग होता है, तभी प्रश्नपत्र मिलता है।
● पहले की तरह राज्य स्तर की परीक्षा होनी चाहिए
● परीक्षा कराने वाली एजेंसियों की जवाबदेही तय हो
● पेपर तैयार करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग हो। लॉग-इन आईडी डालते के बाद पेपर जेनरेट हो।
● इनक्रिप्टिड प्रश्नपत्र आना चाहिए।
अभिभावक बोले, पेपर लीक से सख्ती से निपटें
संवाद में शामिल अभिभावकों का कहना था कि सरकार को पेपर लीक के मामलों से बेहद सख्ती से निपटना चाहिए। सख्त कानून बनाया जाए और फास्ट ट्रैक अदालतों में सुनवाई हो। दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी तो इससे एक सख्त संदेश जाएगा। अभिभावकों का यह भी कहना था कि परीक्षा केंद्र छात्रों के घरों के नजदीक बनाए जाएं। जितना मानवीय हस्तक्षेप कम होगा, पारदर्शी परीक्षा की संभावनाएं उतनी अधिक होंगी।