मौसम विभाग को जल्द ही लिडार तकनीक मिलने वाली है, जिसके जरिये वह अपने पूर्वानुमानों को सटीक बना पाएगा। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने इसे विकसित किया है, जिसे मेघसूचक नाम दिया गया है।

- शराबी शिक्षकों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति करेगा यह राज्य
- शिक्षक संकुल की बैठक में अनुपस्थित शिक्षकों के खिलाफ होगी कार्रवाई
- अपार आईडी : 132 मान्यता प्राप्त स्कूलों को अंतिम नोटिस
- बजट में मानदेय बढ़ोतरी के फैसले से कर्मियों में राहत की आस जगी
- Teacher diary: दिनांक 22 फरवरी , 2025 कक्षा- 01, 02, 03, 04, 05 की भरी हुई शिक्षक डायरी , देखें
मौसम के पूर्वानुमान के लिए अभी तक राडार और उपग्रह के आंकड़ों पर ही निर्भरता बनी हुई है। अब लिडार तकनीक के इस्तेमाल से मौसम का सही-सही पूर्वानुमान करना आसान हो जाएगा। डीआरडीओ ने मौसम विभाग और नौसेना मुख्यालय के समक्ष मेघसूचक का प्रदर्शन किया है। डीआरडीओ का दावा है कि यह तकनीक सभी मानकों पर खरी उतरी है। डीआरडीओ की देहरादून स्थित प्रयोगशाला इंस्ट्रूमेंट रिसर्च एंड डवलपमेंट इस्टेबलिसमेंट ने इसे विकसित किया है। डीआरडीओ के सूत्रों के अनुसार इस तकनीक को जल्द ही मौसम विभाग को सौंपा जा सकता है।
इस तरह करेगी काम : लिडार तकनीक में लेजर के जरिये बादलों एवं धूलकणों का आकलन किया जाता है। इसमें एक लेजर बीम के जरिये किरणें बादलों एवं धूलकणों तक जाती हैं तथा उनसे टकराकर वापस लौटती हैं।