बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए पदोन्नति मृग मरीचिका बनकर रह गई है। वैसे तो अध्यापक सेवा नियमावली में तीन साल सेवा पर पदोन्नति का नियम है, लेकिन प्रयागराज समेत प्रदेश के अधिकांश जिलों में 15 साल की सेवा कर चुके शिक्षकों की अब तक पदोन्नति नहीं हो सकी है। आलम यह है कि बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकारी पिछले डेढ़ साल में वरिष्ठता सूची समेत अन्य विषय पर 14 आदेश जारी कर चुके हैं, लेकिन पदोन्नति का इंतजार खत्म नहीं हो सका है।

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- FAQ: स्थानांतरण के बाद कैसे पता लगे कि *मेरी मानव सम्पदा आईडी (ehrms) अभी मेरे नए स्कूल में ट्रांसफर हुई है या नहीं??
- विद्यालय मर्जिंग के संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का बयान👇
- 11वें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के आयोजन के अन्तर्गत आयुष मंत्रालय के पोर्टल पर विद्यालयों के रजिस्ट्रेशन के सम्बन्ध में
- अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा उत्तर प्रदेश शासन द्वारा प्रदेश के कम संख्या वाले परिषदीय विद्यालयों को मर्जर किये जाने सम्बन्धी 16 जून 2025 के आदेश पर रोक लगाने के सम्बंध में
आखिरी बार 24 जुलाई को बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आपत्ति लेते हुए शिक्षकों की अंतिम वरिष्ठता सूची प्रकाशित करते हुए उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। उसके बाद से न तो सचिव ने कोई मार्गदर्शन दिया और न ही पदोन्नति की बात हुई। प्रयागराज में फरवरी 2009 के बाद से नियुक्त सहायक अध्यापकों का प्रमोशन नहीं हुआ था। आखिरी बार 2016 में शिक्षकों की पदोन्नति हुई थी। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि 15 साल की सेवा के बावजूद पदोन्नति न मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है।