लखनऊ हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों का अध्ययन कराने के आदेश रक्षा खाद्य व अनुसंधान लैबोरेट्री मैसूर के निदेशक को दिए हैं। न्यायालय ने कहा है कि एकीकृत बाल विकास सेवा योजना ( आईसीडीएस स्कीम) के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाले पौष्टिक आहार की गुणवत्ता मात्रा और जिस प्रकार से प्रदेश में इस योजना को चलाया जा रहा है, इन सभी बिंदुओं के संबंध में चार सप्ताह में रिपोर्ट दी जाए।
- पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन !
- कक्षा 1 से 8 तक के स्कूलों की छुट्टी का कैलेंडर जारी, बसंत पंचमी का अवकाश खत्म, अनंत चतुर्दशी पर स्कूल बंद रहेगा, देखें सम्पूर्ण तालिका
- बेसिक शिक्षा परिषद अवकाश तालिका विश्लेषण
- परिषदीय विद्यालयों की अवकाश तालिका वर्ष 2025 देखें व करें डाउनलोड: Download Holidays List Basic Shiksha Parishad 2025
- तमिलनाडु की SLP पर सुप्रीम कोर्ट में डेट 7 जनवरी👇
यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने शिप्रा देवी की जनहित याचिका पर पारित किया। याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने भारत सरकार को भी पक्षकार बनाने का आदेश याची को दिया। न्यायालय ने पाया कि प्रदेश में कुल 1,89,140 आंगनबाड़ी केंद्र उक्त आईसीडीएस स्कीम को चलाने के लिए कार्य कर रहे हैं जबकि आंगनबाड़ी वर्कर्स की संख्या 1,78,706 है और इस योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या 2,22,33,550 है। न्यायालय ने कहा कि वर्ष 1975 में शुरू की गई उक्त योजना का मूल उद्देश्य शिशुओं और स्तनपान करने वाली मांओं के स्वास्थ्य का ख्याल रखना है। न्यायालय ने कहा कि हमारे समक्ष प्रस्तुत डाटा के अवलोकन से पता चलता है कि योजना के कार्यान्वयन में, मुख्य रूप से पौष्टिक आहार के सप्लाई को लेकर, पारदर्शिता की आवश्यकता है। न्यायालय ने कहा कि मामले में कोई भी आदेश देने से पूर्व एक एक्सपर्ट रिपोर्ट मंगा लेना आवश्यक होगा।