बलिया। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। बच्चों को पढ़ाने के अलग-अलग तरीके भी ईजाद कर रहे हैं। इन सबसे अलग, जिले का एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है जहां के शिक्षकों ने खुद के लिए आचार संहिता बना दी है।
अपना ड्रेस कोड लागू किया है। निर्धारित रंग के पैंट-शर्ट पहनकर ही ये प्रतिदिन स्कूल आते हैं। पहचान पत्र भी
बनवाया है, जिसे वे यूनिफार्म के साथ ही धारण करते हैं। पूर्वांचल में अपने तरह का यह सबसे अलग व अनोखा प्रयोग है। प्राथमिक विद्यालय पुरास में कुल आठ शिक्षक हैं। इसमें एक महिला हैं। प्रधानाध्यापक जयप्रकाश सिंह के अनुसार, विद्यालय में शिक्षा जगत में हो रहे बदलाव पर चर्चा के दौरान सहायक अध्यापकों ने खुद के लिए ड्रेस कोड लागू करने का सुझाव रखा। तीन दिन (सोमवार, मंगलवार व बुधवार) सफेद शर्ट व नेवी ब्लू रंग की पैंट तथा अगले तीन दिन क्रीम कलर की शर्ट व नीला पैंट पर सहमति बनी
सोच व सबके सहयोग से बदला नजारा
प्रावि पुरास का कलेवर बदलने में वह के प्रधानाध्यापक की सोच के साथ ही सहायक अध्यापकों के सहयोग व संकल्प की भूमिका है। एमएससी, बीएड जेपी सिंह वर्ष 1991 से 1993 तक नवोदय विद्यालय में प्रवक्ता रहे। वहां एडहॉक नौकरी थी. लिहाजा प्राथमिक स्कूल में शिक्षक बने तो यहां आ गए। जेपी सिंह का शिक्षा से जुड़ा अपना यू-ट्यूब चैनल भी है।
छह दिन होती है अलग- अलग प्रार्थना
प्रधानाध्यापक के अनुसार, विद्यालय में रोजाना अलग- अलग प्रार्थना कराई जाती है। इसका स्वरबद्ध पाठ होता है। नेवी से रिटायर विद्यालय के एक पुरातन छात्र ने करीब 7500 रुपये का साउंड बाक्स भी खरीदकर दिया है। इसका इस्तेमाल प्रार्थना में होता है।
बच्चों को खुद दी डायरी, देते हैं होमवर्क
निजी स्कूलों की तर्ज पर विद्यालय के शिक्षकों ने खुद के प्रयास से बच्चों को डायरी भी उपलब्ध कराई है। उस पर होमवर्क दिया जाता है। ‘चेक्ड’ वाली मुहर भी है, जिसे होमवर्क करके आने वाले बच्चों की कॉपी पर लगाया जाता है। हेडमास्टर के अनुसार, बच्चों की लिखावट ठीक हो, इसके लिए पेन की बजाय पेंसिल का इस्तेमाल अधिक होता है। प्रधानाध्यापक के अनुसार गर्मी में बच्चों की असुविधा को देखते हुए इन्वर्टर लगाने का निर्णय हुआ। इसके लिए सभी अध्यापकों ने दो-दो हजार रुपये का सहयोग कर दिया।