मौसम विभाग को जल्द ही लिडार तकनीक मिलने वाली है, जिसके जरिये वह अपने पूर्वानुमानों को सटीक बना पाएगा। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने इसे विकसित किया है, जिसे मेघसूचक नाम दिया गया है।

- बड़ी खबर : भारत सरकार ने सभी केंद्रीय कर्मचारियों की सर्विस बुक को ऑनलाइन ई सर्विस बुक के रूप में रखने के निर्देश जारी
- समस्त BSA BEO कृपया ध्यान दें।
- अजय कुमार Vs उत्तर प्रदेश सरकार की में माननीय सुप्रीम कोर्ट के अनुसार यूपी में बेसिक के शिक्षकों को एक से अधिक बार अंतर्जनपदीय ट्रांसफर लेने का अधिकार है। बहुत से साथियों को आदेश की कॉपी चाहिए थी।
- हर विद्यालय का अपना बैंड, कला उत्सव भी होगा
- बाबू ने शिक्षिका को छेड़ा ब्लैकमेल कर धमकी दी
मौसम के पूर्वानुमान के लिए अभी तक राडार और उपग्रह के आंकड़ों पर ही निर्भरता बनी हुई है। अब लिडार तकनीक के इस्तेमाल से मौसम का सही-सही पूर्वानुमान करना आसान हो जाएगा। डीआरडीओ ने मौसम विभाग और नौसेना मुख्यालय के समक्ष मेघसूचक का प्रदर्शन किया है। डीआरडीओ का दावा है कि यह तकनीक सभी मानकों पर खरी उतरी है। डीआरडीओ की देहरादून स्थित प्रयोगशाला इंस्ट्रूमेंट रिसर्च एंड डवलपमेंट इस्टेबलिसमेंट ने इसे विकसित किया है। डीआरडीओ के सूत्रों के अनुसार इस तकनीक को जल्द ही मौसम विभाग को सौंपा जा सकता है।
इस तरह करेगी काम : लिडार तकनीक में लेजर के जरिये बादलों एवं धूलकणों का आकलन किया जाता है। इसमें एक लेजर बीम के जरिये किरणें बादलों एवं धूलकणों तक जाती हैं तथा उनसे टकराकर वापस लौटती हैं।