लखनऊ, । परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सोमवार से ऑनलाइन हाजिरी अनिवार्य किए जाने के फैसले के खिलाफ विभिन्न शिक्षक संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म के जरिए भी शिक्षक अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। इस बीच डीजी स्कूल शिक्षा ने ऑनलाइन हाजिरी लगाने के लिए आधे घंटे का अतिरिक्ति समय दे दिया है।
डीजी स्कूल शिक्षा ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भेजे पत्र में कहा है कि आठ जुलाई से शिक्षकों के विद्यालय आने का समय डिजिटल उपस्थिति पंजिका में सुबह 745 बजे से आठ बजे तक दर्ज किए जाने के निर्देश दिए गए थे। अग्रिम आदेश तक 30 मिनट का अतिरिक्त समय दिया जा रहा है। इस तरह शिक्षक अब सुबह 830 बजे तक (कारण सहित उल्लिखित करते हुए) अपनी उपस्थित दर्ज करा सकेंगे। यह सूचना सभी शिक्षकों, शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को विभागीय व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से भी भेजी गई है।
उधर, विभिन्न संगठनों ने अलग-अलग तरीके से विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ सोमवार से प्रदेश के सभी जिलों में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपेगा। प्राथमिक शिक्षक संघ संबद्ध अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने आठ जुलाई को विद्यालयों में काली पट्टी बांधकर विरोध करने की घोषणा की है।
इसके बाद नौ जुलाई को सभी जिलों में बीएसए को ज्ञापन सौंपेंगे। शिक्षकों का कहना है कि अभी बारिश का मौसम चल रहा है। रास्ते कट जाते हैं। ऐसे में यदि शिक्षक फंस जाता है और एक मिनट भी देरी से पहुंचता है तो वह अनुपस्थित माना जाएगा। ऐसे ही जाड़े के दिनों में घना कोहरा होने पर स्कूलों में पहुंचने में थोड़ी देरी हो सकती है।
यूटा के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि संगठन ऑनलाइन उपस्थिति के विरोध में हाईकोर्ट की शरण में जा रहा है। उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि यह आदेश न्यायसंगत नहीं है।
सोशल मीडिया पर चलाया अभियान
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने मीडिया प्रभारी सत्येंद्र पाल सिंह ने बताया कि शिक्षकों ने रविवार को ‘एक्स’ पर #boycott ऑनलाइनहाजिरी अभियान चलाया। इसमें शिक्षकों ने मांग की कि उन्हें 15 सीएल, 30 ईएल व 15 हाफ सीएल दिया जाए। इसके बाद ही शिक्षक ऑनलाइन हाजिरी को स्वीकार करेंगे। सभी शिक्षक, शिक्षामित्र व अनुदेशक 20 जुलाई तक काली पट्टी बांधकर शिक्षण कार्य करते हुए विरोध दर्ज कराएंगे। इसके बाद भी शासन की आंख नहीं खुलती हैं तो कार्य बहिष्कार का फैसला लिया जा सकता है।