कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने शिक्षकों का समर्थन किया है। उन्होंने फेसबुक पर लिखा ऑनलाइन अटेंडेंस का विरोध कर रहे शिक्षकों के तर्क जायज हैं कि ज्यादातर स्कूल दूर ग्रामीण इलाकों में हैं। इनकी दिक्कतों का ध्यान नहीं रखा गया। पूछा कि क्या ऑनलाइन अटेंडेंस से ही स्कूली शिक्षा की समस्याएं खत्म हो जाएंगी? शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी, पोलियो ड्यूटी जैसे कई तरह के सर्वे, आदि गैरशैक्षणिक कार्य में उलझाया जाता है। स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। शिक्षकों को हॉफ डे, पेड लीव व मेडिकल सुविधा नहीं है। इन समस्याओं का समाधान निकाले बिना अव्यावहारिक आदेश जारी करना गलत है। वहीं आम आदमी पार्टी शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव अजय गुप्ता ने भी शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी दर्ज करने के आदेश को तानाशाही बताया है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार ने शिक्षकों के लिए ऑनलाइन अटेंडेंस का आदेश जारी किया है, जिसका सभी शिक्षक विरोध कर रहे हैं। उनके तर्क जायज हैं कि ज्यादातर स्कूल सुदूर ग्रामीण एवं दुर्गम इलाकों में हैं। शिक्षकों को घर से 50-60 किलोमीटर दूर तक जाना होता है। कहीं परिवहन की समस्या, कहीं क्रॉसिंग, कहीं जाम, कभी बारिश, कभी अन्य बाधाएं। आदेश जारी करने में इन परिस्थितियों का ध्यान नहीं रखा गया।
क्या ऑनलाइन अटेंडेंस से ही स्कूली शिक्षा की समस्याएं खत्म हो जाएंगी? शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी, पोलियो ड्यूटी, कोरोना ड्यूटी, तमाम तरह से सर्वे करने, रैलियों में भीड़ बढ़ाने, भूसा ढोने, जैसे गैर-शैक्षणिक कार्यों में उलझाया जाता है। स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं नहीं, शिक्षकों की कमी, कहीं भवन नहीं, कहीं फर्नीचर नहीं, कहीं बिजली नहीं, कार्यालय संबंधी सुविधाएं नहीं, हाफ डे अवकाश नहीं, पेड लीव नहीं, मेडिकल सुविधा नहीं, मदद के लिए स्टाफ नहीं।
इन समस्याओं का समाधान निकाले बगैर अव्यवहारिक आदेश जारी करना शिक्षकों को भावनात्मक व मानसिक चोट पहुंचाना है। शिक्षकों पर संदेह करने की जगह ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए कि शिक्षक, सुधार के लिए खुद प्रेरित हों। अगर सरकार शिक्षा जगत में सुधार चाहती है तो शिक्षकों की आवाज सुननी चाहिए।
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