Home PRIMARY KA MASTER DISTRICT NEWS CHANNEL केंद्रीय कैबिनेट ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को दी मंजूरी

केंद्रीय कैबिनेट ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को दी मंजूरी

by Manju Maurya

केंद्रीय कैबिनेट ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली उच्चस्तरीय समिति की सिफारिश को सरकार ने स्वीकार कर लिया।

समिति ने इस साल मार्च में रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सौंपते हुए दो चरणों में लोकसभा, विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव कराने की सिफारिश की थी।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि मंत्रिमंडल के समक्ष रिपोर्ट को रखना केंद्रीय विधि एव न्याय मंत्रालय के कामकाज के 100 दिन के एजेंडे में शामिल था। यह निर्णय लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव को एक साथ कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि मंत्रिमंडल के समक्ष रिपोर्ट को रखना केंद्रीय विधि एव न्याय मंत्रालय के कामकाज के 100 दिन के एजेंडे में शामिल था। यह निर्णय लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव को एक साथ कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

समिति ने पहले चरण में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव साथ कराने की सिफारिश की थी। इसके 100 दिनों के भीतर नगर पालिका और पंचायत चुनाव कराने की सिफारिश की थी। समिति की रिपोर्ट को 32 दलों ने समर्थन दिया है, वहीं 15 दल इसके खिलाफ हैं।

सहमति बनाने की कोशिश करेगी सरकार सरकार अब राजनीतिक दलों और राज्यों के साथ सहमति बनाने की कोशिश शुरू करेगी। सूत्रों का कहना है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू तथा कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल को इसकी जिम्मेदारी दी जा रही है। हालांकि, इस बार में आधिकारिक घोषणा अभी नही की गई है।

कार्यान्वयन समूह बने

रिपोर्ट के मुताबिक, निर्धारित तिथि के बाद और लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से पहले राज्य विधानसभाओं के चुनावों द्वारा गठित सभी विधानसभाओं का कार्यकाल सिर्फ अगले आम चुनावों तक समाप्त होने वाली अवधि के लिए होगा। समिति ने प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एक कार्यान्वयन समूह गठित करने की सिफारिश की है।

आदेश पर राज्य में चुनाव

यदि चुनाव आयोग की राय है कि आम चुनाव के समय किसी विधानसभा का चुनाव नहीं कराया जा सकता है, तो वह राष्ट्रपति के आदेश द्वारा विधानसभा के चुनाव की घोषणा करने की सिफारिश कर सकता है। एक देश एक चुनाव प्रस्ताव को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में बनी समिति ने संविधान में 18 संसोधन का सुझाव दिया है।

कैबिनेट के अन्य फैसले

● किसानएनपीके खाद के लिए 24 हजार करोड की सब्सिडी मंजूर, अन्नदाता आय संरक्षण योजना मंजूर, 25 हजार करोड़ मंजूर

● विज्ञान चांद पर लैंड करके यान वापस लौटेगा चंद्रयान मिशन

● युवा आईआईटी, आईआईएम की तर्ज पर ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इमर्सिव क्रिएटर्स स्थापित करने का प्रस्ताव

‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है. बता दें कि इस पर कोविंद कमेटी ने रिपोर्ट दी है. बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति ने वन नेशन वन इलेक्शन की संभावनाओं पर मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. इस रिपोर्ट में जो सुझाव दिए गए हैं, उसके मुताबिक पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए. समिति ने आगे सिफारिश की है कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ संपन्न होने के 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी हो जाने चाहिए. इससे पूरे देश में एक निश्चित समयावधि में सभी स्तर के चुनाव संपन्न कराए जा सकेंगे. वर्तमान में, राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव अलग-अलग आयोजित किए जाते हैं.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से वन नेशन वन इलेक्शन की वकालत करते आए हैं. पीएम मोदी ने कहा था,’मैं सभी से एक राष्ट्र एक चुनाव के संकल्प को हासिल करने के लिए एक साथ आने का अनुरोध करता हूं, जो समय की मांग है.’ लोकसभा चुनाव से पहले आजतक से विशेष बातचीत में पीएम मोदी ने इस मुद्दे पर कहा था कि सरकारों के पूरे पांच साल के कार्यकाल के दौरान चुनाव ही नहीं होते रहने चाहिए. उन्होंने कहा था, ‘मैं हमेशा कहता हूं कि चुनाव सिर्फ तीन या चार महीने के लिए होने चाहिए. पूरे 5 साल राजनीति नहीं होनी चाहिए. इससे चुनावों का प्रबंधन करने वाले खर्च में कटौती होगी.’

कानून बनाने के लिए संसद में पास कराना होगा बिल

एक देश, एक चुनाव के लिए सबसे पहले सरकार को बिल लाना होगा. चूंकि ये बिल संविधान संशोधन करेंगे, इसके लिए ये तभी पास होंगे, जब इन्हें संसद के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन मिलेगा. यानी, लोकसभा में इस बिल को पास कराने के लिए कम से कम 362 और राज्यसभा के लिए 163 सदस्यों का समर्थन जरूरी होगा.संसद से पास होने के बाद इस बिल को कम से कम 15 राज्यों की विधानसभा का अनुमोदन भी जरूरी होगा. यानी, 15 राज्यों की विधानसभा से भी इस बिल को पास करवाना जरूरी है. इसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्ष के बाद ही ये बिल कानून बन सकेंगे.

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