अमृत विचार : बेसिक शिक्षा परिषद में तैनात खंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) को भी पदोन्नत कर राजकीय इंटर कॉलेजों (जीआईसी) में प्रधानाचार्य बनने का मार्ग प्रशस्त किया जा रहा है। इस क्रम में शासन से नियमावली तैयार कर ली है। कस्वीकृति के लिए उप्र. लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को भेजा गया है। स्वीकृति मिलने के बाद पदोन्नति की कवायद शुरू हो जाएगी। हालांकि शिक्षण कार्य में लगे राजकीय शिक्षकों ने इसका विरोध भी करना शुरु कर दिया है। विरोध का एक बड़ा आधार यह है कि बीईओ का पद निरीक्षण कैडर का है और प्रधानाचार्य शिक्षण कैडर का होता है। इसलिए बीईओ का प्रमोशन इस पद पर नहीं होना चाहिए। दरअसल, जीआईसी में प्रधानाचार्य का पद राजपत्रित होता है। इसके 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से भरे जाते हैं। प्रधानाचार्यों की भर्ती पीसीएस के साथ होती है और ग्रेड पे- 5400 का होता – है। इसके अतिरिक्त 50 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरने का नियम है, लेकिन
पिछले एक दशक से यह विवादों में फंसी होने से पदोन्नति प्रक्रिया ठप है। बीईओ को पदोन्नति से प्रधानाचार्य बनाने लिए शासन में कई बैठकें हुई। इसके बाद पदोन्नति के लिए कोटा में बदलाव कर दिया गया है। अब 33 प्रतिशत पुरुष, 33 प्रतिशत महिला प्रवक्ता और 34 प्रतिशत बीईओ पदोन्नत होकर प्रधानाचार्य बन सकेंगे।
अपर निदेशक राजकीय अजय द्विवेदी के मुताबिक, राजकीय विद्यालयों में महिला प्रवक्ताओं की संख्या बढ़ी है, इसलिए उनका कोटा 22 से 33 प्रतिशत कर दिया गया है। बीईओ की भी संख्या बढ़ी है, इसलिए उनका कोटा डीआई के स्थान पर 17 से बढ़ाकर 34 प्रतिशत कर दिया गया
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है। पुरुष प्रवक्ताओं की संख्या कम होने पर उनका कोटा घटाया गया है। उन्होंने बताया कि इसे स्वीकृति के लिए यूपीपीएससी भेजा गया
6 पद है। इस पद की शैक्षिक अर्हता केवल स्नातक (बीए) एवं बीएड या बीएड के समकक्ष है। जबकि प्रधानाचार्या पद की शैक्षिक अर्हता एमए और बीएड है। इसलिए बीईओ न तो शैक्षिक अर्हता रखता है और उसका विभाग भी माध्यमिक शिक्षा विभाग से अलग है। डॉ. नित्य प्रकाश सिंह, राजकीय शिक्षक संघ, प्रवक्ता संवर्ग उम्र।
6 हमारा पद शिक्षा विभाग का है, बेसिक और माध्यमिक बताकर दिग्भ्रमित किया जा रहा है। साल 2015 की एक गाइडलाइन के अनुसार हम इंटर तक के शिक्षकों की शैक्षणिक गुणवत्ता, ट्रेनिंग देख सकते हैं। रही बात शैक्षणिक योग्यता की तो, हम उस मानक पर भी खरे उतरते हैं। राजकीय शिक्षकों का विरोध गलत है। -प्रमेन्द्र शुक्ला, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेशीय विद्यालय निरीक्षक संघ
सरकार की नई कवायद का होने लगा विरोध
बेसिक शिक्षा विभाग के निरीक्षक शाखा पर पदोन्नति के लिए बनाई गई नियमावली का विरोध भी शुरू हो गया है। राजकीय शिक्षक संघ प्रवक्ता संवर्ग उप्र. के एक पदाधिकारी नित्य प्रकाश का तर्क है कि प्रधानाचार्य पद विशुद्ध शिक्षण का पद है। यह माध्यमिक शिक्षा विभाग से संबद्ध है। इसे 50 प्रतिशत सीधी भर्ती और 50 प्रतिशत पदोन्नति से भरा जाता है। बेसिक शिक्षा विभाग के कर्मचारियों का उक्त पद पर प्रमोशन अथवा पदोन्नति का कोटा निर्धारित करना न्यायोचित नहीं है। वहीं, राजकीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष रामेश्वर पांडेय का भी कहना है कि प्रधानाचार्य पद पर सीधे बीईओ को पदोन्नति देना गलत है। बीईओ का ग्रेड पे-4800 का होता है। यह प्रवक्ता के बराबर है। प्रवक्ता से हेडमास्टर में पदोन्नति होने के बाद वह अगले चरण में वह प्रधानाचार्य बन पाते हैं, जबकि बीईओ को इसका लाभ एक ही प्रमोशन पर देने की तैयारी है। संगठन इसका विरोध करेगा