नई दिल्ली, । स्कूली स्तर पर अब पांचवीं औ
र आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए शिक्षा मंत्रालय ने नए नियम लागू किए हैं। इन नियमों के तहत, अब इन कक्षा में वार्षिक परीक्षा में असफल होने वाले छात्रों को फेल किया जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि बच्चों को दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा देने का अवसर दिया जा सकता है। पहले, आठवीं कक्षा तक किसी भी विद्यार्थी को फेल करने का प्रावधान नहीं था।
वर्ष 2010-2011 में पांचवीं-आठवीं की बोर्ड परीक्षा बंद कर दी गई थी। विद्यार्थियों को जनरल प्रमोशन देकर अगली कक्षा में भेज दिया जाता था। केंद्र सरकार ने निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत यह व्यवस्था बनाई थी। सूत्रों का कहना है कि इससे स्कूली शिक्षा के स्तर में काफी गिरावट आ गई थी। आगे चलकर 10वींझ्र12वीं की बोर्ड परीक्षा में भी नतीजे खराब आ रहे थे। राज्य सरकार द्वारा इस व्यवस्था को बदलने को लेकर असमंजस की स्थिति थी। सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर देने के बाद स्थिति स्पष्ट हो गई है। अगर राज्य चाहें तो परीक्षा करा सकते हैं। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने राजपत्र में अधिसूचना जारी की है।
जारी अधिसूचना के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 38 की उपधारा (2) के खंड (च क) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निशुल्क अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2010 को और संशोधन करने के लिए नियम बनाया गया है। इन नियमों का संक्षिप्त नाम निशुल्क अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन नियम 2024 है। यह सरकारी राजपत्र में उनके प्रशासन की तारीख से लागू हो गए हैं। इनमें यह भी लागू किया गया है कि प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के अंत में पांचवीं और आठवीं कक्षा की नियमित परीक्षा होगी। परीक्षा में प्रोन्नति मापदंड को पूरा करने में असफल रहने वाले विद्यार्थियों को परिणाम घोषित होने की तारीख से दो माह के भीतर फिर से परीक्षा का अवसर दिया जाएगा।
आदेश 👇👇👇👇👇