प्रयागराज, पिछले पांच साल में बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में हुई दोनों भर्तियों में आरक्षण को लेकर पेंच फंस गया। सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2017 में 1.37 लाख शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन को निरस्त कर दिया था। इन पदों पर दो चरणों में भर्ती के आदेश दिए थे। सरकार ने जनवरी 2018 में सहायक अध्यापकों के 68500 पदों पर भर्ती शुरू की।
इसके बाद शेष 69000 पदों पर सहायक अध्यापकों की भर्ती शुरू हुई। इस भर्ती में भी आरक्षण की अनदेखी के आरोप लगे थे। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. लोकेश कुमार प्रजापति ने पिछले साल अपनी अंतरिम रिपोर्ट में चयन प्रक्रिया में आरक्षण नीति | के उल्लंघन की बात मानी थी। यह रिपोर्ट आने के बाद अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अनुप्रिया पटेल ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर आरक्षण नियमों के अनुपालन का अनुरोध किया था।
इसके बाद सैकड़ों अभ्यर्थियों ने लंबे समय तक लखनऊ में प्रदर्शन किया। छात्रों के दबाव पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप पर बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने 24 दिसंबर को घोषणा की थी कि छह जनवरी तक आरक्षित वर्ग के छह हजार अभ्यर्थियों की सहायक अध्यापक पद पर भर्ती की जाएगी। हालांकि यह वादा पूरा नहीं हो सका और तमाम कोशिशों के बाद बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने पांच जनवरी को आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की सूची प्रकाशित की। इससे पहले की इन अभ्यर्थियों का जनपद आवंटन होता था काउंसिलिंग की तारीख तय होती आठ जनवरी को विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो गई और सारी प्रक्रिया ठप हो गई। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का आरोप था कि ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित 18598 पदों में से 5844 सीटें अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को दे दी गई।
अफसरों को भेजी संस्तुति
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष ने 68500 भर्ती में ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को पांच प्रतिशत अंक की छूट देने संबंधी संस्तुति का अनुपालन करने का पत्र बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों को भेजा है। अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा, महानिदेशक स्कूल शिक्षा निदेशक बेसिक शिक्षा सचिव बेसिक शिक्षा परिषद और सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी को पत्र भेजा गया है।