एक तरफ जहां अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए प्रोन्नति में आरक्षण को लेकर सरकार पैर जमाए खड़ी है, वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर के दायरे को बढ़ाने की तैयारी भी हो रही है। मौजूदा आठ लाख रुपये आय के दायरे को बढ़ाकर 10 लाख तक किया जा सकता है। वैसे भी इस दायरे को प्रत्येक तीन साल में बढ़ाने का प्रविधान है। इससे पहले इस दायरे में बढ़ोत्तरी वर्ष 2017 में की गई थी। तब इसे छह लाख से बढ़ाकर आठ लाख किया गया था।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रलय ने यह पहल तब शुरू की है, जब ओबीसी उपवर्गीकरण का काम भी लगभग पूरा हो गया है। इसे लेकर काम कर रहे आयोग ने जल्द ही अपनी रिपोर्ट पेश करने के संकेत दिए हैं। हाल ही में मंत्रलय ने संसद को भी ओबीसी क्रीमीलेयर में बढ़ोत्तरी से जुड़े पहलू को विचाराधीन बताया था।
सूत्रों की मानें तो मंत्रलय ने क्रीमीलेयर के दायरे में बदलाव को लेकर सुझाव देने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है। समिति से सुप्रीम कोर्ट के उन दिशानिर्देशों का भी ध्यान रखने को कहा गया है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि क्रीमीलेयर का निर्धारण सिर्फ आर्थिक आधार पर नहीं हो सकता है, इसके लिए सामाजिक, आर्थिक सहित बाकी पहलुओं पर ध्यान देना भी आवश्यक है। माना जा रहा है कि ओबीसी उपवर्गीकरण के साथ ही क्रीमीलेयर की नई सीमा तय की जा सकती है। बता दें कि ओबीसी उपवर्गीकरण पर काम कर रहे आयोग का कार्यकाल इस साल 31 जुलाई तक है।
’>>प्रत्येक तीन साल में बदलाव का प्रविधान, 2017 में छह से आठ लाख किया गया था आय का दायरा
बिहार में तय सीमा से अधिक 33 प्रतिशत आरक्षण
बिहार और तमिलनाडु सहित देश के सात ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं, जहां स्थिति ठीक उलट है। इन राज्यों में ओबीसी को निर्धारित 27 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण दिया जा रहा है। बिहार में ओबीसी को सरकारी नौकरियों में 33 प्रतिशत, तमिलनाडु में 50 प्रतिशत, केरल में 40 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 29 प्रतिशत और कर्नाटक में 32 प्रतिशत तक आरक्षण मिल रहा है।
पंजाब में ओबीसी को सबसे कम 12 प्रतिशत आरक्षण
अभी ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रविधान है, लेकिन छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान व झारखंड समेत लगभग 11 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जहां इन्हें पूरा आरक्षण नहीं मिल रहा है। पंजाब में ओबीसी को सबसे कम सिर्फ 12 प्रतिशत ही आरक्षण दिया जाता है, बाकी के राज्यों में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है।
ओबीसी को आरक्षण देने का अधिकार राज्यों के पास
मौजूदा व्यवस्था में ओबीसी को आरक्षण देने का अधिकार राज्यों के पास है। ऐसे में राज्यों ने इसे अपने तरीके से लागू किया है। हालांकि, हाल ही में संसद में इस मुद्दे के उठने के बाद केंद्र सरकार की ओर से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रलय ने इसे लेकर एक रिपोर्ट संसद की दी है, जिसमें राज्यों में ओबीसी आरक्षण की पूरी स्थिति रखी है। मंत्रलय का कहना है कि केंद्र के सभी विभागों में ओबीसी के लिए तय 27 प्रतिशत आरक्षण लागू है।
उत्तर प्रदेश में मानक लागू
उत्तर प्रदेश, असम, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा और ओडिशा सहित लगभग 10 राज्य व केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जहां तय 27 प्रतिशत का ही मानक लागू है।