प्रयागराज : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) प्रायोगिक परीक्षा के आयोजन को लेकर एक नीति पर अडिग नहीं है। इसी का नतीजा है कि परीक्षकों की नियुक्ति को लेकर परिषद के सचिव ने 24 घंटे के भीतर ही अपना आदेश पलट दिया। पहले उन्होंने नवीन व्यवस्था बनाते हुए केवल राजकीय एवं सवित्त विद्यालयों के अध्यापकों को ही परीक्षक नियुक्त किए जाने का आदेश 18 अप्रैल को किया।
फिर 18 अप्रैल को ही क्षेत्रीय सचिवों को दूसरा पत्र लिखा। इसमें केवल राजकीय एवं सवित्त विद्यालयों के अध्यापकों की ही परीक्षक नियुक्त करने की बात हटा दी। यानी कि अब वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षक भी परीक्षक बन सकेंगे। परिषद की इंटरमीडिएट की प्रथम चरण की प्रायोगिक परीक्षा 20 अप्रैल से शुरू किए जाने की तिथि निर्धारित की गई है। सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने मेरठ, बरेली, प्रयागराज, वाराणसी और गोरखपुर के सचिव को पत्र भेजा। 18 अप्रैल के इस पत्र में उन्होंने लिखा कि वर्ष 2022 की इंटरमीडिएट की प्रथम चरण की प्रयोगात्मक परीक्षा से संबंधित नियुक्त किए गए परीक्षकों के नियुक्ति पत्र एवं अन्य प्रपत्र मुद्रित होकर कंप्यूटर फर्म द्वारा द्वारा 19 अप्रैल तक प्राप्त करा दिए जाएंगे।
इसमें दूसरे पैराग्राफ में केवल राजकीय एवं सवित्त विद्यालयों के ही अध्यापकों को परीक्षक बनाए जाने की नई व्यवस्था का शिक्षक विधायक सुरेश कुमार त्रिपाठी ने विरोध जताया। उन्होंने अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा को पत्र लिखकर कहा कि इस नई व्यवस्था का माध्यमिक स्ववित्त पोषित शिक्षक संघ पुरजोर विरोध करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि शासन द्वारा शिक्षा जगत में शिक्षक के ऊपर कलंक लगाकर संपूर्ण शिक्षकों की गरिमा को धूमिल किया जा रहा है। सचिव ने पहले का पत्र निरस्त कर संशोधित पत्र में नई व्यवस्था का अपना आदेश हटा दिया। प्रायोगिक परीक्षा को लिखित परीक्षा केंद्रों पर कराए जाने के आदेश का भी विरोध हो रहा है। शिक्षक विधायक सुरेश त्रिपाठी एवं ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने इस आदेश को अविवेकपूर्ण निर्णय बताया है।
प्रायोगिक परीक्षा तिथि तय जिलों में नहीं पहुंचे प्रपत्र