लखनऊ । प्रदेश की स्थानांतरण नीति के तहत इस सत्र में राज्य कर्मचारियों के तबादले तो होंगे ही, उनकी कुर्सियां भी बदलेंगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पारदर्शी और भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन के लिए अगले 100 दिनों में प्रदेश में कार्मिकों के पटल परिवर्तन की प्रभावी व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया है। वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक के लिए राज्य की वार्षिक स्थानांतरण नीति अप्रैल के अंत तक जारी करने का निर्देश भी दिया है।
गुरुवार को मंत्रिपरिषद के समक्ष नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग की कार्ययोजनाओं के प्रस्तुतीकरण के दौरान मुख्यमंत्री ने यह निर्देश दिया। शासन से लेकर फील्ड स्तर तक के सरकारी कार्यालयों में बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मचारी वर्षों से एक ही कुर्सी पर जमे हुए हैं। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है, लाल फीताशाही भी पनपती है। इसलिए मुख्यमंत्री ने 100 दिनों में कार्मिकों के पटल परिवर्तन की व्यवस्था को लागू करने के लिए कहा है।
उन्होंने कहा कि चयन वर्ष 2022-23 में सीधी भर्ती के लिए सभी विभागों की ओर से अधियाचन (भर्ती प्रस्ताव) 31 मई से पहले भेज दिया जाए ताकि उप्र लोक सेवा आयोग और उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर सकें। सरकार सभी विभागीय रिक्तियों को शीघ्रता से भरने के लिए प्रतिबद्ध है। रिक्त पदों पर समयबद्ध चयन की खातिर समय से अधियाचन भेजने के लिए आनलाइन पोर्टल की व्यवस्था की जाए। विभागों में सीधी भर्ती के सभी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य रूप से इंडक्शन ट्रेनिंग की व्यवस्था लागू के जाए। हर प्रशासनिक विभाग इंडक्शन ट्रेनिंग माड्यूल और वार्षिक प्रशिक्षण कैलेंडर तैयार करे।
योगी ने कहा कि समय से पदोन्नति न होने से कार्मिक के मनोबल पर प्रतिकूल असर पड़ता है। सभी विभागों में समस्त विभागीय प्रोन्नतियां 30 सितंबर तक कर ली जाएं। ज्येष्ठता आधारित विभागीय प्रोन्नतियों में एकरूपता के लिए उन्होंने उपयुक्तता का मानक निर्धारित करने का निर्देश दिया। अभी ऐसा कोई मानक न होने के कारण विभिन्न विभाग ज्येष्ठता आधारित विभागीय प्रोन्नतियों में अलग-अलग मापदंड अपना रहे हैं। मुख्यमंत्री ने समूह ‘क’ व ‘ख’ के कार्मिकों की वार्षिक प्रविष्टि और संपत्ति विवरण को एक वर्ष में साफ्टवेयर प्रणाली से करने की व्यवस्था करें।