प्रयागराज, । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की अनौपचारिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान योजना के तहत कार्यरत अनुदेशकों को अन्य विभागों में समायोजित करने पर विचार करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट के आदेशानुसार राज्य सरकार ने समायोजन की कोई योजना अभी तक तैयार नहीं की है इसलिए योजना तैयार कर अनुदेशकों के समायोजन पर विचार किया जाय।
1989 से 2001 तक किया काम
यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक वर्मा ने कौशांबी के अंबिका प्रसाद उपाध्याय व 15 अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया। याचिका पर अधिवक्ता राघवेन्द्र प्रसाद मिश्र ने बहस की। इनका कहना है कि याचियों की नियुक्ति केंद्र व राज्य की अनौपचारिक शिक्षा योजना के तहत की गयी थी। 1989 से 2001 तक कार्य किया। एक अप्रैल 2001 से यह योजना समाप्त कर सर्व शिक्षा अभियान योजना में समाहित कर लिया गया।
पूरे देश में दायर की गई थी समायोजन के लिए याचिका
योजना बंद होने से समायोजन को लेकर पूरे देश में याचिकाएं दायर की गई। पटना हाईकोर्ट ने 11 अगस्त 2015 को अनुदेशकों के भी समायोजित करने पर विचार करने का निर्देश दिया। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई जो खारिज हो गई।
बिहार में योजना तैयार कर समायोजित कर लिया गया। प्रदेश के अनुदेशकों ने पैरटी मांगी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को स्कीम तैयार करने का निर्देश दिया लेकिन अभी तक कोई स्कीम तैयार नहीं की गई है। योजना के तहत सुपरवाइजर व अन्य पदों पर नियुक्त लोगों को समायोजित कर लिया गया और अनुदेशकों के समायोजन की स्कीम तैयार नहीं की गई है। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को स्कीम बनने पर याचियों को समायोजित करने पर विचार करने का निर्देश दिया है।