प्रयागराज। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2026 के लिए केंद्र निर्धारण की नीति शासन की ओर से जारी कर दी गई है। इस बार केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया सॉफ्टवेयर आधारित होगी। गलत जानकारी दर्ज होने पर अगर कोई विद्यालय परीक्षा केंद्र बन जाता है और जनपदीय केंद्र निर्धारण समिति की जांच में मामला सामने आता है तो केंद्र को निरस्त कर दिया जाएगा। साथ ही संबंधित के खिलाफ अनुचित साधनों का निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।

माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि इस प्रावधान के तहत तीन वर्ष से लेकर आजीवन कारावास और दस लाख से एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा दोषी संस्था को तीन वर्ष के लिए डिबार भी किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि रिमोट सेंसिंग से परीक्षण के दौरान जिन विद्यालयों की 1. जियो लोकेशन गलत पाई जाएगी, हन उनकी सूची संबंधित जिले के डीआईओएस को भेजी जाएगी। इसके से सत्यापन के लिए एपीआई युक्त कर मोबाइल एप विकसित किया गया है जिसे प्रधानाचार्य डाउनलोड कर विद्यालय की लोकेशन और फोटो दा अपलोड कर सकेंगे।
इसके अलावा 40 प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांग छात्रों को उनके विद्यालय में ही परीक्षा देने की सुविधा दी जाएगी। यदि ऐसा संभव नहीं है तो उन्हें सात किलोमीटर के भीतर के परीक्षा केंद्रों में समायोजित किया जाएगा।
माध्यमिक शिक्षा परिषद् (उ.प्र.)
तीन वर्ष से लेकर आजीवन कारावास और दस लाख से एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का है प्रावधान
परीक्षा केंद्र निर्धारण के प्रमुख बिंदु
वर्ष 2026 की परीक्षा में हाईस्कूल के 27,50,945 और इंटरमीडिएट के 24,79,352 छात्र-छात्राएं शामिल होंगे।
कुल 52,30,297 परीक्षार्थियों के लिए 7500 से 7700 विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा।
इस बार अधिक छात्र संख्या और ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने वाले विद्यालयों को दी जाएगी प्राथमिकता।
विद्यालयों में 2200 से अधिक परीक्षार्थी भी आवंटित किए जा सकेंगे (पिछले वर्ष अधिकतम सीमा 2000 थी)।
इन्हें नहीं बनाया जाएगा परीक्षा केंद्र
जहां क्रियाशील प्रयोगशाला नहीं है।
जिन विद्यालयों के ऊपर से हाईटेंशन तार गुजरे हैं।
जिनकी मान्यता प्रत्याहरण की प्रक्रिया चल रही है।
जहां हाईस्कूल और इंटर दोनों में कुल 80 से कम छात्र पंजीकृत हैं।
ऐसे स्ववित्तपोषित विद्यालय जहां 20 प्रतिशत से अधिक परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे हों।
जिन विद्यालयों तक पहुंचने के लिए 10 फीट से कम चौड़ा रास्ता है।
जिन विद्यालयों की क्षमता 125 से कम है।
जिन विद्यालयों के परिसर में प्रबंधक या प्रधानाचार्य के आवास हैं।
जहां प्रबंधक और प्रधानाचार्य के बीच विवाद चल रहा है।
जिन विद्यालयों में उत्तरपुस्तिका बाहर लिखते हुए पाए जाने की रिपोर्ट दी गई है।