लखनऊ]। उत्तर प्रदेश में स्कूल जाने वाले हर बच्चे की अब विशिष्ट पहचान होगी। बेसिक शिक्षा विभाग बच्चों की यूनीक आइडी बनाने जा रहा है, इससे बच्चों की प्रगति के साथ विद्यालय छोड़ने वालों का आसानी से पता चल सकेगा। वहीं, स्कूलों में दाखिले से लेकर उन्हें मिलने वाली विभिन्न योजनाओं में फर्जीवाड़ा नहीं हो सकेगा। तैयारी है कि यूनीक आइडी के आधार पर ही इंटरमीडिएट तक स्कूलों में प्रवेश दिया जाए।
उत्तर प्रदेश में बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से संचालित करीब ढाई लाख विद्यालय हैं। सरकारी, सहायताप्राप्त विद्यालयों की अपेक्षा निजी स्कूलों की संख्या काफी अधिक है। सरकारी व एडेड स्कूलों में कई योजनाएं चलने के बाद भी बच्चे पढ़ाई बीच में छोड़ देते हैं, सरकार हर साल छह से 14 वर्ष तक के बच्चों की खोज के लिए अभियान चलाती है।
इसके अलावा सरकारी व सहायताप्राप्त विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों का दाखिला निजी स्कूलों में भी है। हकीकत में करीब सात करोड़ छात्र-छात्राएं कहां पढ़ रहे हैं स्पष्ट नहीं हो पाता। इस बीच बच्चों के अभिभावकों के खाते में यूनीफार्म, स्कूल बैग, जूता-मोजा और स्वेटर का धन भी भेजा जा रहा है और मिडडे-मील, मुफ्त पुस्तकें आदि पहले बांट रही हैं।
योगी सरकार 2.0 में मुख्य सचिव दुर्गा प्रसाद मिश्र ने बच्चों के लिए चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम बनाने पर विशेष जोर दिया है, इससे उनकी प्रगति और गतिविधि यानी स्कूल छोड़ना आदि सामने आ सकेगा। तैयारी है कि स्कूल में दाखिला पाने वाले हर बच्चे की यूनीक आइडी बनाई जाए। इंटरमीडिएट तक की कक्षाओं में प्रवेश इसी आइडी के आधार पर मिलेगा। विभाग इसके लिए पोर्टल बनाएगा जिस पर सभी तरह के विद्यालयों को छात्र-छात्राओं का ब्योरा अपलोड करना होगा।
इस पहल से पता चल सकेगा कि निजी स्कूल के कितने बच्चे सरकारी स्कूलों में दाखिल हुए और सरकारी स्कूलों के कितने बच्चों ने निजी विद्यालयों की राह पकड़ी। यदि दोनों जगह नहीं हैं तो बच्चे कहां हैं? इस कार्य के लिए बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग मिलकर कार्य करेगा और साफ्टवेयर एजेंसियां का भी सहयोग लेगा। इस संबंध में उच्च स्तरीय बैठक जल्द होगी।