प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की बियार जाति को अनुसूचित जनजाति की बजाय पिछड़ी जाति में शामिल करने के विरुद्ध याचिका पर केंद्र व राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र एवं न्यायमूर्ति विकास की खंडपीठ ने दिनेश कुमार बियार की याचिका पर दिया है। याचिका में उत्तर प्रदेश में भी बियार जाति को अनुसूचित जनजाति घोषित करने की मांग की गई है। कोर्ट ने मुद्दे को विचारणीय माना है। कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि न्यायालय ऐसा आदेश कर सकता है या नहीं। निश्चित जानकारी न मिलने पर कोर्ट ने जवाबी हलफनामा मांगा है। याचिका के अनुसार 20 सितंबर 1951 की अधिसूचना में बियार जाति को विंध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया था। राज्य पुनर्गठन कानून 1956 के तहत विंध्य प्रदेश बंटकर कई राज्यों में शामिल हो गया। उत्तर प्रदेश में बियार जाति को पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया है जबकि मध्य प्रदेश में अब भी बियार जाति अनुसूचित जनजाति में है। याचिका पर अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।