लखनऊ: उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों ने प्रदेश सरकार से उन्हें शिक्षक पद पर समायोजित करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि या फिर उन्हें शिक्षकों के वेतन के बराबर मानदेय देते हुए 62 वर्षों तक सेवा करने का अवसर दिया जाए। इसके साथ ही 12 माह वेतन या मानदेय देकर शिक्षामित्रों का भविष्य सुरक्षित करने की भी मांग उठाई है।
शिक्षामित्रों ने यह मांग सोमवार को राजधानी के रमाबाई अंबेडकर मैदान में आयोजित महासम्मेलन के दौरान उठाई। महासम्मेलन का आयोजन आदर्श समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ, दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ समेत विभिन्न संगठनों के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। महासम्मेलन में कई शिक्षामित्र अपने परिवार के साथ पहुंचे।
आदर्श समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के कार्यकारी प्रांतीय अध्यक्ष विश्वनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला व दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षामित्र बीते 22 वर्षों से योगदान दे रहे हैं। वर्तमान में शिक्षामित्रों की स्थिति दयनीय है।
महंगाई के दौर में मात्र 10000 रुपये प्रतिमाह मानदेय वर्ष में 11 महीने ही मिलता है। ऐसे में शिक्षामित्रों के परिवार का भरण पोषण नहीं हो पा रहा। शिक्षामित्रों के कंधों पर पूरे परिवार का बोझ है। बच्चों की पढ़ाई व उनकी शादी की जिम्मेदारी भी उठाने में मुश्किल हो रही है। इस कारण शिक्षामित्र बड़ी संख्या में अवसाद की स्थिति में जी रहे हैं इसलिए उनकी स्थिति को सुधारा जाना बहुत जरूरी है। सभी संगठनों के नेताओं ने कहा कि वह एकजुटता दिखाने के लिए ही एक मंच पर आए हैं।
उन्होंने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि सरकार हमारी बात को सुनेगी। महासम्मेलन में पहुंचे केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने कहा कि वह पूरी तरीके से शिक्षामित्रों के साथ हैं। शिक्षामित्रों की मांग को सरकार तक पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार भी शिक्षामित्रों की मांगों के प्रति गंभीर है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई कराने के लिए पूरा प्रयास करेंगे।