नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हाई कोर्ट के कुछ सेवानिवृत्त जजों को 6,000 से 15,000 रुपये के बीच मिलने वाली मामूली पेंशन पर हैरानी जताई। जस्टिस बीआर गवई, पीके मिश्रा और केवी विश्वनाथन की पीठ हाई कोर्ट के एक रिटायर्ड जज की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने कहा है कि उन्हें महज 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है।
- MDM : बृहस्पतिवार का विद्यालय अवकाश होने की स्थिति में आगामी कार्यदिवस में वितरण किया जायेगा..
- परिषदीय शिक्षक / शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के बोनस वर्ष 4 प्रतिशत, 3 प्रतिशत के संबंध में।
- जुनून: शिक्षामित्र से बने असिस्टेंट प्रोफेसर, फिर चढ़ा ऐसा जुनून कि बन गए DSP
- परिषदीय स्कूलों के बच्चे भी देखेंगे ऑनलाइन रिपोर्ट
- सरकार की नीति हाईकोर्ट ने अवैध ठहराई, शिक्षकों की तरफ से मुख्य पैरवी अमरीश तिवारी और हिमांशु राणा ने की
जिला अदालत में 13 साल तक न्यायिक अधिकारी के तौर पर सेवा देने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज के तौर पर पदोन्नत हुए याचिकाकर्ता ने दावा किया कि अधिकारियों ने पेंशन की गणना करते समय उनकी न्यायिक सेवा पर विचार करने से इनकार कर दिया है।
पीठ ने टिप्पणी की कि अगर हमारे सामने हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज हैं, जिन्हें 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है, तो यह चौंकाने वाली बात है। ऐसा कैसे हो सकता है? न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि प्रत्येक उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद की सुविधाएं अलग-अलग हैं और कुछ राज्यों में बेहतर सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। शीर्ष अदालत ने सुनवाई 27 नवंबर के लिए निर्धारित की