लखनऊ। राजकीय आईटीआई में दूरस्थ शिक्षा से बीटेक कर अनुचित रूप से प्रधानाचार्य बने डेढ़ दर्जन अनुदेशकों पर कार्रवाई की तलवार लटकने लगी है। निदेशक, प्रशिक्षण निदेशालय ने छह प्रधानाचार्यों को पदावनत करने की संस्तुति शासन को भेज दी है।

अमर उजाला ने नौ अक्तूबर के अंक में राजकीय आईटीआई के 18 प्रधानाचार्य जांच के घेरे में शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इसमें बताया गया था कि नियमानुसार नियमित बीटेक डिग्री धारक व दस साल की सेवा पूरी करने वाले अनुदेशक ही प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नत हो सकते हैं। दूरस्थ शिक्षा से बीटेक करने वाले डेढ़ दर्जन अनुदेशकों को प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति दी गई थी।
शासन ने यह मामला न्यायालय में जाने और विभाग में मिली शिकायत के आधार पर दस अक्तूबर को इन 18 प्रधानाचार्यों को उनके सभी आवश्यक दस्तावेज के साथ जांच के लिए बुलाया था। किंतु प्रशिक्षण निदेशालय के अतिरिक्त निदेशक की ओर से जारी
आदेश में यह कहा गया कि कतिपय कारण से जांच से संबंधित बैठक स्थगित कर दी गई है। इसके लिए दोबारा सूचना दी जाएगी।
दिवाली बाद होगी जांच
वहीं प्रशिक्षण निदेशालय के निदेशक अभिषेक सिंह की ओर से आदेश जारी कर राजकीय आईटीआई चंदौली, साकेत मेरठ, बिसौली बदायूं, मेहदावल संतकबीर नगर, खेकडा बागपत, कासगंज के पदोन्नति प्राप्त प्रधानाचार्य को पदावनत करने की संस्तुति व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास व उद्यमशीलता विभाग के प्रमुख सचिव को भेजी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तीन नवंबर 2017 को दिए गए अमान्य विश्वविद्यालय से डिग्री होने के कारण संबंधित को पदावनत करने की संस्तुति की है। उन्होंने आगे की कार्रवाई के लिए शासन से अपेक्षा की है। माना जा रहा है कि अन्य प्रधानाचार्यों के दस्तावेजों की जांच दिवाली बाद की जाएगी। फिर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसे लेकर विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।